अच्छी बारिश से किसान खुश, तमिलनाडु के कावेरी डेल्टा जिलों में 56 फीसदी ज्यादा धान की बुवाई

तमिलनाडु के कावेरी डेल्टा में हाल की बारिश से कुरुवई धान की खेती को मजबूती मिली है. कुछ क्षेत्रों में फसल कटाई शुरू, जबकि अन्य में बारिश से उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 16 Aug, 2025 | 10:12 AM

पिछले दो हफ्तों में हुई अच्छी और लगातार बारिश ने तमिलनाडु के कावेरी डेल्टा जिलों में कुरुवई धान की खेती को काफी बढ़ावा दिया है. कुछ हिस्सों को छोड़ दें तो ज्यादातर इलाकों में फसल को इससे बड़ा फायदा मिला है. किसानों का कहना है कि बारिश से लंबी अवधि की सांबा धान की खेती को भी मदद मिली है. कृषि और किसान कल्याण विभाग के अनुसार, इस साल तंजावुर, तिरुवरूर, नागपट्टिनम, मयिलाडुथुरै और तिरुची जिलों में 2.33 लाख हेक्टेयर में कुरुवई धान की खेती हुई है, जो पिछले साल के मुकाबले 56 फीसदी ज्यादा है.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मेट्टूर डैम में पर्याप्त पानी होने के साथ-साथ हाल की बारिश ने डेल्टा क्षेत्र में खड़ी फसल को मजबूती दी है. गणपति अग्रहारम के किसान जी श्रीनिवासन ने कहा कि इस महीने में अच्छी बारिश हुई है, जिससे इस बार कुरुवई सीजन में अच्छी फसल की उम्मीद है. कक्काराई के आर. सुब्रमण्यम ने इसे खड़ी कुरुवई फसल के लिए जरूरी बताया. अम्मैयागारम के एके रविचंदर ने कहा कि उनके गांव और आसपास के इलाकों में अगेती कुरुवई फसल कटाई के लिए तैयार है, लेकिन बारिश के कारण खेत गीले हो गए हैं और मशीनों से फसल काटने में तीन घंटे लग गए, जिससे खर्च बढ़ गया.

इतने हेक्टेयर में फसल की बुवाई

इस बीच, कुछ किसानों ने कुरुवई के बजाय सांबा धान लगाने का फैसला किया है. आर. सुब्रमण्यम ने कहा कि ऐसे किसान बारिश के पानी के साथ-साथ नहर के पानी का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. अधिकारियों के अनुसार, इस साल तंजावुर में 1.23 लाख हेक्टेयर, तिरुवरूर में 1.38 लाख हेक्टेयर और मयिलाडुथुरै में 70,000 हेक्टेयर में सांबा धान की खेती होने की उम्मीद है.

किसान कब करें सांबा धान की बुवाई

सीनियर एग्रो टेक्नोलॉजिस्ट फोरम के पी. कलैवनन ने कहा कि जो किसान सांबा धान की खेती करना चाहते हैं, उन्हें लंबी अवधि वाली किस्में 15 अगस्त से 7 सितंबर के बीच बोनी चाहिए. जबकि मध्यम अवधि वाली किस्में पूरे सितंबर महीने में बोई जा सकती हैं. इससे फसल को पूर्वोत्तर मॉनसून की भारी बारिश से नुकसान नहीं होगा और अच्छी पैदावार मिलेगी.

किसानों ने मई में ही नर्सरी तैयार कर ली

वहीं, पिछले हफ्ते तमिलनाडु के सीनियर एग्रो टेक्नोलॉजिस्ट फोरम के कलैवनन ने कहा था कि जिन किसानों को बिजली से चलने वाले पंप सेट मिले हैं, उन्होंने मई में ही नर्सरी तैयार करना शुरू कर दिया था, जिससे इस बार खेती का रकबा बढ़ा है. उन्होंने यह भी कहा था कि बांध में पानी की अच्छी स्थिति के चलते कुरुवई की खेती सफल रहेगी.  31 जुलाई तक रोपी या बोई गई धान की फसल को कुरुवई फसल माना जाता है.

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Published: 16 Aug, 2025 | 09:59 AM

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