जब गर्मी अपने पूरे जोर पर होती है और आसमान में बदलते मौसम के संकेत दिखने लगते हैं, तब किसान अपनी फसलों की तैयारी में जुट जाते हैं. खासकर धान की खेती करने वाले किसान मई के महीने को बहुत खास मानते हैं, क्योंकि यही वह समय होता है जब खेतों की जुताई, सिंचाई की व्यवस्था और सबसे अहम, बीजों का चुनाव किया जाता है. लेकिन सिर्फ खेत तैयार कर लेने से अच्छी फसल नहीं मिलती.
असली फर्क तो उस किस्म से पड़ता है जिसे आप बोने जा रहे हैं. सही धान की किस्म न केवल उपज बढ़ाती है, बल्कि मौसम, कीट और बीमारियों से लड़ने में भी मदद करती है. तो आइए जानते हैं मई के महीने में बोई जाने वाली सबसे उपयुक्त धान की कौन-कौन सी किस्में हैं जो किसानों को बेहतर उत्पादन और मुनाफा दिला सकती हैं.
सांबा महासूरी
सांबा महासूरी धान की एक बेहद लोकप्रिय किस्म है, जो न सिर्फ अच्छी उपज देती है, बल्कि इसका दाना भी बेहद उच्च गुणवत्ता वाला होता है. इस किस्म की सबसे खास बात यह है कि यह अलग-अलग तरह की जलवायु और मिट्टी में खुद को आसानी से ढाल लेती है. इसके साथ ही, यह कई आम बीमारियों और कीटों से भी सुरक्षित रहती है. इसकी फसल जल्दी तैयार हो जाती है, जिससे किसान मानसून की भारी बारिश आने से पहले ही कटाई कर सकते हैं.
स्वर्णा सब1
अगर आपका खेत ऐसे इलाके में है जहां पानी भरने की समस्या रहती है, तो स्वर्णा सब1 आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है. यह किस्म विशेष रूप से बाढ़ झेलने वाले क्षेत्रों के लिए विकसित की गई है और लंबे समय तक पानी में डूबी रहने पर भी खराब नहीं होती. इसके अलावा यह किस्म अच्छी उपज देती है और इसका दाना भी उत्तम गुणवत्ता का होता है. अप्रैल-मई की शुरुआत में इसकी बुवाई करने से बाढ़ के समय तक फसल काफी हद तक तैयार हो जाती है.
MTU 1001
अगर आप ऐसे बीज की तलाश में हैं जिसमें कीट और रोग कम लगें, तो MTU 1001 एक भरोसेमंद नाम है. यह किस्म तना छेदक और पत्ते लपेटने वाले कीट जैसे प्रमुख कीटों के प्रति सहनशीलता दिखाती है, जिससे कीटनाशकों के इस्तेमाल में कमी आती है. इसके साथ ही इसकी उपज भी अच्छी होती है और दाने की गुणवत्ता भी बाजार में मांग के अनुसार होती है. जो किसान कम लागत में टिकाऊ खेती करना चाहते हैं, उनके लिए यह किस्म एक अच्छा विकल्प हो सकती है.
IR 64
IR 64 एक ऐसी किस्म है जिसे भारत के कई हिस्सों में पसंद किया जाता है, क्योंकि यह अलग-अलग प्रकार की मिट्टी और मौसम में अच्छी तरह फसल देती है. यह सूखे और मिट्टी की खारापन जैसी मुश्किल परिस्थितियों में भी ठीक-ठाक उपज देती है. जिन इलाकों में बारिश अनियमित होती है या खेतों की मिट्टी सामान्य से हटकर होती है, वहां IR 64 एक सुरक्षित और स्थिर विकल्प है. इस किस्म से किसान ऐसी स्थितियों में भी अच्छी पैदावार पा सकते हैं जहां अन्य किस्में फेल हो जाती हैं.