आलू किसानों को नुकसान, 390 रुपये क्विंटल रेट.. CM से भावांतर भरपाई योजना लागू करने की उठी मांग

हरियाणा में आलू के गिरते दामों और भावांतर भरपाई योजना में देरी को लेकर बीकेयू (चढूनी) ने सरकार पर सवाल उठाए हैं. सफेद आलू के किसान आर्थिक संकट में हैं. संगठन ने किस्मवार कीमत तय करने, BBY तुरंत लागू करने और डिजिटल खामियां दूर करने की मांग की है.

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नोएडा | Updated On: 28 Dec, 2025 | 10:26 AM
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Potato Mandi Rate: भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) ने हरियाणा के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राज्य की मंडियों में आलू के लगातार गिरते दामों और भावांतर भरपाई योजना (BBY) का मुआवजा लागू होने में हो रही देरी पर गहरी चिंता जताई है. यूनियन का कहना है कि सफेद आलू के किसान गंभीर आर्थिक संकट में हैं और सरकार की निष्क्रियता के कारण बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके हैं. इस सीजन में किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक तरफ आलू के दाम बहुत नीचे चले गए हैं, वहीं खड़ी फसल में फंगल बीमारी फैलने से पैदावार को लेकर भी चिंता बढ़ गई है. मंडियों में इस समय सफेद आलू 390 से 510 रुपये प्रति क्विंटल और लाल आलू 700 से 800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बिक रहा है. बाजार समिति अधिकारियों के अनुसार, आलू की भारी आवक और मांग स्थिर रहने के कारण कीमतों में गिरावट आ रही है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बीकेयू (चढूनी) ने कहा कि पंचकूला, सिरसा, सोनीपत, यमुनानगर, अंबाला और कुरुक्षेत्र  जिले की मंडियों जैसे पिपली, शाहाबाद और बाबैन में आलू के दाम और गिर गए हैं. यूनियन का कहना है कि सफेद आलू के दाम उत्पादन लागत से भी नीचे चले गए हैं, जिससे इसकी खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा बन गई है. किसान संगठन ने कीमतों के आकलन में बड़ी गड़बड़ी का आरोप लगाया है. यूनियन का कहना है कि जहां सफेद आलू के दाम बहुत नीचे गिर चुके हैं.

लाल और डायमंड किस्म के आलू के भाव ज्यादा

वहीं लाल और डायमंड किस्म के आलू के भाव अपेक्षाकृत ज्यादा हैं. इसके बावजूद मंडियों में दोनों किस्मों को मिलाकर औसत या मोडल कीमत तय की जा रही है, जिससे कुल कीमत ज्यादा दिखाई देती है. इसी आधार पर सफेद आलू किसानों को भावांतर भरपाई योजना (BBY) का लाभ नहीं दिया जा रहा, जिससे उन्हें सीधा आर्थिक नुकसान हो रहा है. पत्र में कहा गया है कि मंडियों में आलू की आवक होने के बावजूद पोर्टल पर किसानों की पंजीकृत फसल का सत्यापन अब तक पूरा नहीं हुआ है. इसके चलते न तो ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल पर कोटा जारी हो रहा है और न ही ऑनलाइन गेट पास बन पा रहे हैं. यूनियन का आरोप है कि इन तकनीकी अड़चनों के कारण किसानों को मजबूरी में बेहद कम दामों पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है.

आलू की किस्मों के दाम अलग-अलग तय किए जाएं

बीकेयू (चढूनी) ने अपनी प्रमुख मांगों में कहा है कि लाल, डायमंड और सफेद आलू की किस्मों के दाम अलग-अलग तय किए जाएं. भावांतर भरपाई योजना के तहत मुआवजा केवल मंडी में हुई वास्तविक बिक्री कीमत के आधार पर दिया जाए. इसके साथ ही पोर्टल पर पंजीकृत आलू की फसलों का तुरंत सत्यापन किया जाए, ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल पर कोटा जारी कर ऑनलाइन गेट पास प्रणाली बहाल की जाए और BBY को बिना देरी लागू किया जाए. यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने समय रहते दखल नहीं दिया तो सफेद आलू के किसानों को भारी नुकसान होगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार और संबंधित विभागों की होगी. 

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Published: 28 Dec, 2025 | 08:24 AM

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