हरियाणा के किसान गेहूं से बना रहे दूरी, आखिर सरसों और तोरिया की खेती में क्यों बढ़ रही दिलचस्पी?

हरियाणा के अंबाला और कुरुक्षेत्र में सरसों व तोरिया जैसी तिलहन फसलों का रकबा बढ़ रहा है. कम लागत और तीन-फसली खेती इसका कारण है. किसान समय पर एमएसपी पर खरीद की मांग कर रहे हैं, ताकि मजबूरी में फसल सस्ते दाम पर न बेचनी पड़े.

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नोएडा | Updated On: 24 Dec, 2025 | 01:12 PM
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Haryana Agriculture News: हरियाणा के अंबाला और कुरुक्षेत्र जिलों में गेहूं के बजाए सरसों और तोरिया जैसी तिलहन फसलें किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं. इसका मुख्य कारण कम लागत, कम पानी और खाद की कम जरूरत है. साथ ही यह फसल तीन-फसली खेती प्रणाली में आसानी से शामिल हो जाती है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस रबी सीजन में तिलहनों का रकबा बढ़ा है. अंबाला में तिलहन क्षेत्र 7,200 एकड़ से बढ़कर करीब 8,250 एकड़ हो गया है. वहीं कुरुक्षेत्र में यह 12,115 एकड़ से बढ़कर लगभग 12,750 एकड़ तक पहुंच गया है.

किसानों और कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं के मुकाबले तिलहन फसलों में कम सिंचाई और खाद लगती है. खासतौर पर सरसों, धान और सूरजमुखी के बीच आसानी से उगाई जा सकती है, जिससे किसान दो की जगह तीन फसलें ले पा रहे हैं. अंबाला के किसान मलकित सिंह ने कहा कि सरसों की वजह से अब हम धान, सरसों और फिर सूरजमुखी उगा पा रहे हैं. इस क्षेत्र में तिलहन की खेती धीरे-धीरे बढ़ रही है. सरकार को समय पर खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि किसानों को एमएसपी से कम दाम पर फसल बेचने की मजबूरी न हो.

फरवरी में कटाई के लिए तैयार हो जाएगी सरसों

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी तरह की चिंता जताते हुए किसान सुखविंदर सिंह ने कहा कि सरसों की फसल  फरवरी के तीसरे हफ्ते तक कटाई के लिए तैयार हो जाएगी. उन्होंने सरकार से मांग की कि फरवरी के अंत तक खरीद शुरू की जाए. उनका कहना है कि सरसों के बाद किसान सूरजमुखी की खेती करेंगे और अगर दोनों फसलों पर एमएसपी मिलती है, तो किसान तिलहनों का रकबा और बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित होंगे.

तिलहन के रकबे में हो रही बढ़ोतरी

किसान संगठनों ने भी खरीद में देरी का मुद्दा उठाया है. बीकेयू (चरुनी) के प्रवक्ता राकेश बैंस ने कहा कि सरकारी एजेंसियों के बाजार में आने से पहले ही बड़ी मात्रा में फसल निजी खरीदारों को बेचनी पड़ती है. समय पर एमएसपी पर खरीद  सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है. अगर यह समस्या हल हो जाए, तो तिलहन की खेती लगातार बढ़ेगी.

12,750 एकड़ में तिलहन की बुवाई

वहीं, कृषि अधिकारियों का कहना है कि तिलहन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. कुरुक्षेत्र के उप कृषि निदेशक डॉ. करमचंद ने कहा कि इस साल जिले में करीब 12,750 एकड़ में तिलहन की खेती हुई है, जिसमें 8,750 एकड़ सरसों और 4,000 एकड़ तोरिया शामिल हैं. उन्होंने किसानों को सरकार की खरीद समय-सारिणी के अनुसार अनाज मंडियों में फसल लाने की सलाह दी.

8,250 एकड़ में तिलहन फसलों की खेती

अंबाला के उप कृषि निदेशक डॉ. जसविंदर सैनी ने कहा कि इस साल जिले में करीब 8,250 एकड़ में तिलहन फसलों  की खेती की गई है. उन्होंने कहा कि तिलहन तीन-फसली खेती प्रणाली में अच्छी तरह फिट बैठती हैं. तिलहन को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में किसान मेला भी आयोजित किया गया था. डॉ. सैनी ने उम्मीद जताई कि सूरजमुखी का रकबा आगे और बढ़ेगा और किसानों को मजबूरी में कम दाम पर फसल बेचने से बचाने के लिए सरकार से खरीद प्रक्रिया जल्द शुरू करने का अनुरोध किया गया है.

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Published: 24 Dec, 2025 | 01:10 PM

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