उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में मौसम ने करवट ले ली है और नौतपा के कारण तापमान में तेजी से वृद्धि हो रही है. 2 जून तक नौतपा प्रभावी रहेगा, जो देश के कई हिस्सों में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने का अनुमान है. नौतपा की यह अवधि खास होती है क्योंकि इस दौरान सूर्य पृथ्वी के सबसे करीब होता है और वह रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है. इसलिए नौतपा को सबसे गर्म समय माना जाता है. ऐसे मौसम में गाभिन भैस समेत सभी पशुओं की देखभाल बेहद जरूरी हो जाती है ताकि उनकी सेहत खराब न हो और वे गर्मी की मार से बच सकें.
ऐसे करें गाभिन भैंस की देखभाल
गर्भवती, युवा और दूध देने वाली भैस गर्मी के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होती हैं. गर्मी से इनके शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे कमजोरी, सुस्ती और भूख में कमी आ सकती है. ऐसे में इनके आहार में खनिज और पोषक तत्वों को शामिल करना अनिवार्य होता है ताकि उनकी ताकत बनी रहे. साथ ही, इनके व्यवहार पर भी ध्यान रखना चाहिए. यदि वे सुस्त या बेचैन दिखें तो यह गर्मी के कारण हो सकता है और तुरंत उन्हें छाया वाले ठंडे स्थान पर ले जाना चाहिए. जरूरत पड़े तो पशु चिकित्सक की मदद भी लें.
पानी और नहलाने की व्यवस्था करें
गर्मी में भैस को ठंडा रखने के लिए दिन में कम से कम एक बार नहलाना बहुत जरूरी है. नहलाने से उनका शरीर ठंडा रहता है और हीटस्ट्रोक का खतरा कम हो जाता है. इसके साथ ही, भैस को पर्याप्त मात्रा में ठंडा और साफ पानी पिलाना चाहिए ताकि वे हाइड्रेटेड रहें और शरीर का तापमान नियंत्रित रहे. गर्मी के दौरान पशुओं को ज्यादा देर तक धूप में बाहर रखने से बचना चाहिए. अगर कहीं ले जाना जरूरी हो तो सुबह या शाम के ठंडे समय का ही चुनाव करें.
पर्यावरण और आवास का ध्यान रखें
भैस को ऐसी जगह रखें जहाँ अच्छी हवा का आवागमन हो और धूप की तेज किरणें सीधे न पड़ें. आवास की छत पर रंग या छाया के लिए पुआल, पत्तियां या छप्पर का प्रयोग करें जिससे तापमान कम हो. बस्तियों के आसपास पेड़ लगाना भी फायदेमंद रहता है क्योंकि पेड़ छाया देने के साथ ही वातावरण को ठंडा करते हैं. ठंडी हवा और छाया भैस के लिए राहत का कारण होती है.
गर्मी में स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां
नौतपा के समय भैस के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना जरूरी है. गर्मी में जल्दी पानी की कमी होने पर भैस कमजोर और सुस्त हो जाती है. कभी-कभी शरीर में पानी की कमी के कारण हीटस्ट्रोक जैसी गंभीर स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है. इसलिए भैस के शरीर में सूजन, सांस लेने में कठिनाई या कोई अन्य असामान्य लक्षण दिखें तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें. समय रहते इलाज से भैस की जान बचाई जा सकती है.