पपीते की खेती करना किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि किसान पपीते की सही किस्मों का चुनाव करें. ताकि किसानों को अच्छा उत्पादन मिल सके और उनकी अच्छी कमाई हो सके. पीपते में मौजूद पोषक तत्वों के कारण इसकी मांग बाजार में सालभर बनी रहती है . इसलिए किसान बड़े पैमाने पर पीपते की खेती करते हैं. खबर में आगे पपीते की 3 उन्नत किस्मों के बारे में बात करेंगे.
पपीते की 3 उन्नत किस्में
रेड लेडी (Red Lady- Taiwan 786)
रेड लेडी- ताईवान 786 पपीते की एक हाइब्रिड किस्म है जो कि बुवाई के 8 से 9 महीनों बाद फल देना शुरू कर देती है. इसका गूदा लाल-नारंगी रंग का होता है. स्वाद में ये किस्म बेहद ही मीठी होती है जिसमें बीज भी कम होते हैं. बात करें इस किस्म से मिलने वाली पैदावार की तो इसके एक पौधे से लगभग 40 से 60 फल मिल सकते हैं. इसके साथ ही ये किस्म पपीता रिंग वायरस के प्रतिरोधी होती है. आकार में इसके पौधे छोटे होते हैं इसलिए कम जगह में भी इस किस्म की खेती आसानी से की जा सकती है.
पूसा ड्वार्फ (Pusa Dwarf)
पपीते की किस्म पूसा ड्वार्फ को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा ने विकसित किया है. यह एक छोटा और झाड़ीदार पौधा है जो तेज हवाओं में भी नहीं गिरता है. इस किस्म के फल आकार में मध्यम होते हैं. इसका गूदा पीला और स्वाद मीठा होता है. पपीते की यह किस्म होम गार्डन और छोटे खेतों के लिए सही मानी जाती है. बात करें पैदावार की तो इसके एक पौधे से लगभग 40 किग्रा फल मिल सकते हैं.
कोइमता (Co-7/Coimbatore-7)
पपीते की इस किस्म को तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है. इसका गूदा लाल और नारंगी रंग का होता है. स्वाद में इसका फल बेहद ही मीठा होता है. एक फल का वजन करीब 1.2 से 2.5 किग्रा का होता है. साथ ही इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी अच्छी होती है. व्यावसायिक खेती के लिए पपीते की इस किस्म के सबसे सही माना जाता है. बात करें इसकी उपज की तो इसके एक फल से करीब 98 फल तक मिल सकते हैं.