Karnataka News: कर्नाटक के चामराजनगर जिले में अक्टूबर और नवंबर महीने के दौरान कम बारिश होने की वजह से सूखे जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं. इससे जिले में रबी फसलों की बुवाई पर बड़ा असर पड़ा है. इस रबी सीजन में 28,163 हेक्टेयर का लक्ष्य था, लेकिन अब तक सिर्फ 24,185 हेक्टेयर में ही बुवाई हो पाई है. जिले की ज्यादातर खेती बारिश पर निर्भर है, इसलिए बारिश में देरी ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पौधों की शुरुआती बढ़त के समय बारिश कम होने से रबी फसलों की पैदावार घट जाती है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, हनूर और येलंदूर तालुकों में खास तौर पर सूखे हालात बने हुए हैं. देर से बारिश आने का असर बुवाई और उत्पादन, दोनों पर पड़ा है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. इस साल चामराजनगर में 28 फीसदी कम बारिश दर्ज हुई. जनवरी से नवंबर तक अनुमानित 758 मिमी के मुकाबले सिर्फ 593 मिमी बारिश हुई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 817 मिमी बारिश मिली थी.
अक्टूबर में 162.3 मिमी के मुकाबले 145.3 मिमी बारिश हुई
यानी अक्टूबर और नवंबर के रबी बुवाई के महत्वपूर्ण समय में जिले में बारिश कम हुई. अक्टूबर में 162.3 मिमी के मुकाबले 145.3 मिमी बारिश हुई, जबकि नवंबर में स्थिति और खराब रही, जहां 72.9 मिमी की जगह सिर्फ 12.2 मिमी बारिश हुई. कम बारिश की वजह से रबी फसलों की बुवाई और बढ़वार, दोनों पर असर पड़ा है.
मूंगफली, कुल्थी और रागी की बुवाई प्रभावित हुई
तहसीलों की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल यलंदूर में 36.3 फीसदी, चामराजनगर में 24 फीसदी, हनूर में 22.5 फीसदी, कोल्लेगल में 21.9 फीसदी और गुंडलूपेट में 11.9 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई. बारिश की कमी से रबी सीजन में मूंगफली, कुल्थी और रागी की बुवाई प्रभावित हुई. उड़द, मक्का, सूरजमुखी, अन्य तिलहनों और दालों की फसलें भी कम बारिश की वजह से नुकसान में रहीं, क्योंकि फूल आने के समय पौधों की बढ़वार रुक गई.
रबी बुवाई और पौधों की ग्रोथ दोनों प्रभावित हुईं
चामराजनगर की संयुक्त कृषि निदेशक सुष्मा ने कहा कि नवंबर में पर्याप्त बारिश न मिलने से रबी बुवाई और पौधों की ग्रोथ दोनों प्रभावित हुईं. उन्होंने कहा कि जिले में खाद और बीज का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है. वहीं, कर्नाटक राज्य रैता संघ और हसीरू सेना के राज्य सचिव महेश प्रभु ने प्रशासन से मांग की कि किसानों को हुए नुकसान की भरपाई की जाए, खासकर यलंदूर और हनूर में जहां बारिश की कमी का सबसे ज्यादा असर पड़ा है.