तालाब बनवाने से पहले जानें ये बातें, नहीं तो मछली पालन में हो सकता है नुकसान

तालाब बनाते समय सिर्फ खुदाई करना ही काफी नहीं होता. सही जमीन का चयन, मिट्टी की क्वालिटी और पानी की जांच सबसे जरूरी है. ऐसे में तालाब निर्माण से पहले कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है.

नोएडा | Updated On: 10 Jun, 2025 | 05:13 PM

मछली पालन आज के समय में किसानों के लिए एक बेहतर कमाई का जरिया बनता जा रहा है. लेकिन अगर तालाब सही तरीके से नहीं बनाया गया तो फायदा की जगह नुकसान हो सकता है. ऐसे में तालाब बनाते समय सबसे पहले ये देखना जरूरी है कि जमीन और पानी की क्वालिटी क्या है. क्योंकि सिर्फ खुदाई करने से मछलियां जिंदा नहीं रहेंगी. इसके लिए कुछ जरूरी मानक होते हैं, जिन्हें जानना हर मछली पालक के लिए बेहद जरूरी है.

जमीन कैसी होनी चाहिए

मछली पालन से कमाई का सपना तो हर किसान देखता है. लेकिन ये सपना तभी साकार होता है जब तालाब बनाने की शुरुआत सही जगह से हो. अगर जमीन का चुनाव सोच-समझकर नहीं किया गया तो मेहनत के साथ-साथ पैसा भी डूब सकता है. हरियाणा सरकार के मछली पालन के अनुसार, तालाब के लिए सबसे जरूरी है ऐसी जमीन, जो पानी को लंबे समय तक रोक सके. बनाते समय ध्यान देने की बात यह है कि बहुत ज्यादा खारी या अम्लीय मिट्टी मछलियों के लिए नुकसानदायक हो सकती है. इसलिए मिट्टी की जांच जरूर करवा लें.

तालाब बनवाने के लिए ऐसी जगह चुनें जो नीचे की ओर हो, ताकि बरसात का पानी जमा हो सके और तालाब में लंबे समय तक बना रहे. इसके साथ ही, पानी का ठहराव मछली पालन के लिए जरूरी है. ऐसे में तालाब वाली जगह पर पानी की उपलब्धता हर समय बनी रहनी चाहिए, ताकि गर्मियों में अगर पानी सूख गया या सप्लाई रुक गई तो मछलियों की जान खतरे में न पड़े. इसके अलावा, तालाब में पानी भरने और निकालने के द्वार मजबूत और सही दिशा में होने चाहिए. कोशिश करें कि तालाब सड़क से जुड़ी जगह पर बने ताकि आवाजाही आसान हो. साथ ही, बाढ़ वाले इलाकों में तालाब न बनाएं क्योंकि पानी बहने से मछलियां भी बह सकती हैं.

मिट्टी कैसी होनी चाहिए

  • रेत – 40 प्रतिशत
  • दोमट मिट्टी (सीलट)- 20 प्रतिशत
  • चिकनी मिट्टी – 40 प्रतिशत
  • कार्बनिक कार्बन – 0.5 से 2 प्रतिशत तक
  • उपलब्ध नाइट्रोजन (मिलीग्राम / 100 ग्राम) – 20-75
  • उपलब्ध फास्फोरस (मिलीग्राम / 100 ग्राम) – 210

पानी कैसा होना चाहिए

तालाब में जो पानी होगा, वही मछलियों की सेहत तय करेगा. इसलिए पानी की क्वालिटी पर पूरा ध्यान देना जरूरी है.

  • रंग– हल्का हरा
  • तापमान– 25 से 35 डिग्री सेल्सियस
  • पारदर्शिता – 30 से 40 से.मी.
  • पीएच – 7.0 से 8.6 (ना ज्यादा खारा, ना ज्यादा अम्लीय)
  • घुली ऑक्सीजन – 4 से 10 मि.ग्रा./लीटर
  • कार्बन डाई ऑक्साइड – 3 से 7 मि.ग्रा./लीटर
  • कुल क्षारीयता – 60 से 230 मि.ग्रा./लीटर
  • लवणता – 5 पीपीटी से कम
  • अमोनिया – 0 से 0.1 पीपीएम
  • क्लोरीन– 0.003 पीपीएम से कम
  • कुल घुले ठोस – 80 पीपीएम से कम
  • पोटाशियम (पी.पी.एम) – 0.5 – 10
  • लोहा (पी.पी.एम)- 0.3 – 10
  • कैल्शियम (पी.पी.एम) – 75 – 150
Published: 10 Jun, 2025 | 05:13 PM