कमजोर मेमनों के लिए जानलेवा है ये बीमारी, बकरी पालन से पहले जानें जरूरी बातें

बकरी पालन करने वालों के लिए खतरे की घंटी है PPR नाम की संक्रामक बीमारी, जो खासकर कमजोर मेमनों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. समय पर बचाव नहीं किया तो जानवरों की मौत और भारी आर्थिक नुकसान तय है.

नोएडा | Updated On: 9 Jul, 2025 | 10:11 PM

अगर आप बकरी पालन कर रहे हैं या करने की सोच रहे हैं तो एक बात अच्छी तरह समझ लीजिए, बीमारी सिर्फ जानवर को नहीं, पूरे फार्म को संकट में डाल सकती है. खासकर पीपीआर (PPR) नाम की एक बीमारी है, जो बकरियों के लिए बेहद खतरनाक है और कमजोर मेमनों के लिए तो यह सीधे मौत का कारण बन सकती है.

पीपीआर यानी पेस्ट डेस पेटिट रुमिनेंट्स एक संक्रामक वायरस  से फैलने वाली बीमारी है, जो तेजी से फार्म की दूसरी बकरियों को भी बीमारी चपेट में ले लेती है. इसकी चपेट में आने के बाद बकरियों को तेज बुखार, नाक-मुंह से स्राव, दस्त और कमजोरी जैसी तकलीफें होने लगती हैं. अगर समय रहते इलाज या टीकाकरण नहीं हुआ तो जानवर की मौत भी हो सकती है.

कमजोर और छोटे मेमनों को सबसे ज्यादा खतरा

मीडिया की एक खबर के मुताबिक, यह ज्यादातर कमजोर, कुपोषित या परजीवी से ग्रस्त बकरियों और छोटे मेमनों को बीमारी जल्दी पकड़ती है, क्योंकि उनका शरीर पहले से ही कमजोर होता है और उनमें वायरस से लड़ने की ताकत कम होती है. यही कारण है कि चाहे फार्म छोटा हो या बड़ा, हर बकरी पालक को इस बीमारी से बचाव की तैयारी पहले से ही करनी चाहिए, ताकि जानवर सुरक्षित रहें और नुकसान न हो.

बरसात से पहले बकरियों को दिलाएं PPR का टीका

वैज्ञानिकों और पशुचिकित्सकों की सलाह है कि बरसात का मौसम आने से पहले ही बकरियों को पीपीआर का टीका जरूर लगवाना चाहिए. यह टीका सरकारी पशु अस्पतालों और फार्मा दुकानों में आसानी से मिल जाता है और इसके कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं होते. यह एक साधारण लेकिन असरदार उपाय है, जो बकरियों की जान बचा सकता है और किसान को भारी आर्थिक नुकसान से बचा सकता है.

पालन-पोषण में बरतें ये जरूरी सावधानियां

  • बीमार जानवर को तुरंत अलग कर दें.
  • फार्म की सफाई और संक्रमण नियंत्रण पर विशेष ध्यान दें.
  • नाक, मुंह या आंख से स्राव करने वाली बकरियों को तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
  • मल और स्राव को सही से नष्ट करें ताकि फार्म में वायरस न फैले.

ध्यान रखें, अगर एक बकरी भी संक्रमित हुई तो पूरी झुंड में बीमारी फैल सकती है. इससे बकरियों की मौत, दूध उत्पादन में गिरावट और प्रजनन चक्र पर असर जैसे कई नुकसान हो सकते हैं.

इसलिए अगर आप बकरी पालन को लाभ का जरिया बनाना चाहते है तो सबसे पहले स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता दें. समय पर टीकाकरण कराएं, साफ-सफाई रखें. इतना ही नहीं बकरियों की हल्की सी तकलीफ को भी नजरअंदाज न करें.

Published: 10 Jul, 2025 | 09:00 AM