दूध के कारोबार में उतरने से पहले जानिए, मिल्क कलेक्शन सेंटर खोलने की आसान प्रक्रिया

मिल्क कलेक्शन सेंटर खोलकर किसान आसानी से दूध बेच सकते हैं और बेहतर दाम पा सकते हैं. इससे दूध की क्वालिटी बनी रहती है और किसानों की आमदनी बढ़ती है.

नोएडा | Published: 5 Jun, 2025 | 05:54 PM

आज भी देश के गांवों से सबसे ज्यादा दूध उत्पादन होता है. लेकिन दूध समय पर ग्राहक तक न पहुंच पाने की वजह से कई बार बर्बाद हो जाता है. ऐसे में मिल्क कलेक्शन सेंटर इस दूध को इकट्ठा कर बर्बादी से बचाते हैं. अगर आप भी दूध के कारोबार में कदम रखना चाहते हैं तो अपने गांव या आसपास किसी भी जगह मिल्क कलेक्शन सेंटर खोल सकते हैं. जानिए, कैसे आप इस व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं और इसे सफल बना सकते हैं.

मिल्क कलेक्शन सेंटर क्या है?

मिल्क कलेक्शन सेंटर वह जगह होती है जहां गांव या आसपास के पशुपालक अपने दूध को एकत्रित करते हैं. यहां दूध को कोल्ड स्टोरेज या कंटेनर में रखा जाता है ताकि दूध की ताजगी बनी रहे। बाद में इसे बड़ी डेयरी कंपनियों या प्रसंस्करण उद्योगों को सप्लाई किया जाता है. इससे दूध का नुकसान कम होता है और किसानों को बेहतर दाम भी मिलते हैं.

दूध इकट्ठा करने की प्रक्रिया

मिल्क कलेक्शन सेंटर पर अलग-अलग टैंक बनाए जाते हैं. दूध आने पर उसका सैंपल लेकर फैट चेक किया जाता है. दूध के फैट के हिसाब से अलग-अलग टैंक में जमा किया जाता है, जिससे बाद में दूध की क्वालिटी के अनुसार उसका सही उपयोग हो सके. यह प्रक्रिया दूध के सही स्टोरेज क्वालिटी वितरण में मदद करती है.

मिल्क कलेक्शन के लिए जरूरी चीजें

इस बिजनेस को शुरू करने के लिए आपको एक दुकान या यूनिट चाहिए होती है. साथ ही आपको मिल्क टैंक, बड़े बर्तन, कोल्ड स्टोरेज जैसे उपकरण लगाने पड़ेंगे. शुरुआत में केंद्र सरकार की डेयरी उद्यमिता स्कीम से वित्तीय और तकनीकी सहायता भी ली जा सकती है, जिससे लागत कम होगी और व्यवसाय शुरू करना आसान होगा.

डेयरी कंपनियों के साथ अनुबंध

मिल्क कलेक्शन सेंटर खोलने के बाद आपको आसपास की किसी दूध कंपनी या डेयरी से संपर्क करना होगा. कंपनी के साथ अनुबंध के बाद आप उनके लिए दूध इकट्ठा करके सप्लाई करेंगे. कई डेयरी कंपनियां खुद मिल्क टैंक कलेक्शन सेंटर तक दूध लेने के लिए सुविधाएं भी उपलब्ध कराती हैं.

सहकारी समितियों का अहम रोल

इस काम में सहकारी समितियां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. कई किसान मिलकर एक समिति बनाते हैं, जो आसपास के गांवों से दूध इकट्ठा करती है और डेयरी कंपनी के साथ अनुबंध करती है. समिति को मिलने वाले पैसे में दूध बेचने वाले किसान भी हिस्सेदार होते हैं, जिससे सबका लाभ सुनिश्चित होता है.