सितंबर का महीना शुरू हो चुका है और इसके साथ ही मौसम में भी बदलाव देखने को मिल रही है. इन दिनों तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है. ऐसे में किसान उन फसलों की बुवाई कर सकते हैं जिनके लिए कम तापमान वाला मौसम सही होता है. लहसुन भारतीय रसोई की ऐसी ही एक मसाला फसल है जिसकी खेती करने के लिए सितंबर का महीना सबसे अच्छा साबित हो सकता है, क्योंकि इस महीने में रात के साथ दिन में भी तापमान ठंडी रहता है और मॉनसून के कारण वातावरण में नमी भी बनी रहती है. ऐसे में अगर कोई किसान लहसुन की खेती से अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो बेहद जरूरी है कि वे इसकी खेती का पूरा गणित अच्छे से जान लें.
ऐसे करें खेत की तैयारी
किसी भी फसल को लगाने से पहले बहुत जरूरी है कि उसक खेत अच्छे से तैयार किया जाए, जिसकी शुरुआत होती है सही मिट्टी के चुनाव से. लहसुन की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी जिसका pH मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए. सही मिट्टी के चुनाव के बाद खेत को अच्छी तरह 2 से 3 बार गहराई में जोत लें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो सके और खरपतवार नष्ट हो सकें. ध्यान रहे कि खेत की अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ की दर से 15 से 20 टन गोबर की खाद जरूर मिला लें. इसके बाद खेत को अच्छे से समतल कर लें ताकि खेत में पानी जमा न हो सके. क्योंकि पानी जमा होने की स्थिति में लहसुन की जड़ें सड़ सकती हैं और फसल बर्बाद हो सकती है.
इस तरह करें बीजों की बुवाई
लहसुन की खेती से अच्छा उत्पादन लेने के लिए जरूरी है कि किसान अच्छे और उन्नत क्वालिटी जैसे CITH Garlic-1 के बीजों का चुनाव करें. जो कि प्रमाणित और रोगमुक्त हों. बता दें कि, लहसुन की कलियों को बीज के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. लहसुन की कुछ अच्छी किस्में हैं तो बेहतर उत्पादन देती हैं. प्रति एकड़ खेत में इसकी खेती के लिए करीब 100 से 120 कलियों की जरूरत होती है. बात करें इनकी बुवाई की तों लहसुन की कलियों को मिट्टी में 5 से 6 सेमी की गहराई में लगाना चाहिए, जिनके बीच की दूरी 10 से 15 सेमी की दूरी पर लगाएं. खेत मे लहसुन की कलियों को कतार में लगाना चाहिए और कतार से कतार की दूरी 20 सेमी रखनी चाहिए.

कतारों में लगाएं लहसुन की कलियां (Photo Credit- Canva)
सिंचाई का सही समय और रोग नियंत्रण
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लहसुन की फसल की पहली सिंचाई कलियों की बुवाई के तुरंत बाद करनी चाहिए. इसके बाद हर 10 से 12 दिन पर फसल को पानी दें. लेकिन किसानों को ध्यान रखना होगा कि फसल को जरूरत से ज्यादा पानी न दें. खास तौर पर फसल पकने के समय पर पानी कम दें ताकि लहसुन के कंद सड़ न पाएं. इसके साथ ही किसानों को ये भी सलाह दी जाती है कि वे समय-समय पर खेतों की निराई-गुड़ाई करते रहें ताकि खरपतवार न बढ़ें. लेकिन अगर खेतों में खरपतवारों की संख्या बढ़ गई है तो मल्चिंग का इस्तेमाल करें. किसी तरह के रोग का संक्रमण हो जाने पर फसल पर जैविक दवाइयों का छिड़काव करें.
पैदावार और कमाई
लहसुन की फसल बुवाई के करीब 120 से 150 दिन बाद पककर तैयार हो जाती है. जब पौधे के पत्ते पीले होकर सूखने लगें और झुकने लगें, तब समझ लें कि फसल कटाई के लिए तैयार है. बता दें कि, लहसुन की प्रति एकड़ फसल से किसान औसतन करीब 60 क्विंटल तक पैदावार कर सकते हैं, अगर फसल की अच्छे से देखभाल की जाए और उन्नत किस्मों का चुना जाए तो. बात करें लहसुन की खेती से होने वाली कमाई की तो इसकी खेती में किसानों को लगभग 35 हजार रुपये की लागत आती है और इसकी प्रति एकड़ फसल से औसतन 1.2 लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा हो सकता है.