गन्ने के खेत में लगी गंभीर बीमारी, जड़ के पास डालें ये दवा.. नहीं पीली पड़ेंगी पत्तियां

लखीमपुर खीरी में गन्ने की फसल में आयरन की कमी और नमी की कमी से पत्तियां पीली पड़ रही हैं और पौधे सूख रहे हैं. विशेषज्ञों ने दवा, खाद और नियमित देखरेख करने की बात कही है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 16 Aug, 2025 | 04:20 PM

उत्तर प्रदेश का लखीमपुर खीरी जिला गन्ना उत्पादन के लिए पूरे देश में जाना जाता है. यहां 80 फीसदी किसान गन्ने की खेती पर निर्भर हैं. बरसात का मौसम गन्ने की ग्रोथ के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. खासकर जुलाई से सितंबर के बीच गन्ने की फसल सबसे ज्यादा बढ़ती है. लेकिन इस बार बदलते मौसम और लगातार हो रही बारिश-बाढ़ ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. खेतों में गन्ने की पत्तियां पीली हो रही हैं और पौधे सूख रहे हैं. इससे किसान घबराए हुए हैं. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति का समाधान है. लेकिन जरूरत है सिर्फ सही जानकारी और समय पर उपाय करने की.

मिट्टी में नमी की कमी और आयरन की समस्या

कृषि एक्सपर्ट बताते हैं कि इस समय खेतों में नमी की कमी के कारण गन्ने की जड़ों को पोषण नहीं मिल पा रहा है. खासकर आयरन की कमी के कारण गन्ने की पत्तियां पीली हो रही हैं. गर्मी के साथ-साथ जलभराव वाले क्षेत्रों में पौधे की जड़ें गलने लगती हैं, जिससे पौधे सूखने लगते हैं. खेतों में लगातार पानी भरा रहने और मिट्टी का सख्त हो जाना भी फसल की जड़ों पर असर डालता है.

गन्ने के खेतों में करें ये उपाय

एक्सपर्ट के अनुसार, गन्ने की जड़ों के आसपास कार्बेन्डाजिम दवा का छिड़काव करें. यह दवा पौधे की जड़ों को सुरक्षित रखने में मदद करती है. इस प्रक्रिया को 15 दिनों के अंतराल पर दोहराना चाहिए. इसके अलावा, ट्राइकोडर्मा स्पीसीज को 10 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से 100 से 200 किलो कम्पोस्ट खाद में मिलाकर खेत में डालें. इससे खेत में जैविक संतुलन बना रहेगा और फसल को फायदा होगा.

सल्फर और जिंक से मिलेगी राहत

गन्ने की पत्तियों के पीला पड़ने और सूखने की समस्या को दूर करने के लिए सल्फर और जिंक का छिड़काव भी बहुत असरदार माना गया है. इससे पौधों में जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति होती है. किसान खेत में इनका स्प्रे कर फसल की स्थिति में तेजी से सुधार देख सकते हैं.

हर 15 दिन में दोहराएं देखरेख की प्रक्रिया

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो गन्ने की फसल की देखभाल सिर्फ एक बार नहीं, बल्कि हर 15 दिन में करनी चाहिए. खासकर बरसात के मौसम में खेत में नियमित रूप से नमी की जांच, खरपतवार हटाना और पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखना जरूरी है. तभी जाकर फसल की वृद्धि सही तरीके से हो पाएगी और किसान को अच्छा मुनाफा मिलेगा.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 16 Aug, 2025 | 04:09 PM

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%