गन्ने की फसल पर मंडरा रहा लाल सड़न रोग का खतरा, किसान जान लें लक्षण और बचाव के तरीके

गन्ने की फसल को लाल सड़न रोग से बचाने के लिए किसान कुछ तरह के जैविक उपायों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि किसान फसल की बुवाई से पहले रोग मुक्त और प्रमाणित बीजों का चुनाव करें.

नोएडा | Published: 4 Aug, 2025 | 04:38 PM

मॉनसून सीजन के दौरान देशभर के गन्ना किसानों की फसल अब खेतों में खड़ी होगी. ऐसे में किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे बरसात के मौसम में गन्ने की फसल का खास खयाल रखें. आमतौर पर गन्ने की फसल के लिए बारिश अच्छी होती है लेकिन जरूरत से ज्यादा बारिश होने पर गन्ने की फसल पर कीटों के प्रकोप का खतरा बढ़ जाता है. बता दें कि बरसात के मौसम में गन्ने की फसल पर लाल सड़न रोग का खतरा बढ़ जाता है. बता दें कि ये रोग गन्ने के डंठलों के अंदर घुसकर उसे नुकसान पहुंचाता है, जिसके कारण गन्ने की उपज और क्वालिटा पर बुरा असर पड़ता है. इस रोग के संक्रमण से न केवल गन्ने की फसल बर्बाद होती है बल्कि किसानों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे इस रोग के लक्षण और इनसे बचाव के तरीकों के बारे में सारी जानकारी जुटा लें ताकि समय रहते गन्ने की फसल को बचाया जा सके.

लाल सड़न रोग के लक्षण

लाल सड़न (Red Rot) को गन्ने का ‘कैंसर’ भी कहा जाता है. ये गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाने वाला एक गंभीर रोग है. इसके कुछ लक्षण हैं जिनकी पहचान कर किसान इसको कंट्रोल करने के उपाय कर सकते हैं. इस रोग के संक्रमण से गन्ने के तने में लाल या भूरे रंग की सड़न पड़ने लगती है. जिसके कारण तनों पर लाल धब्बे पड़ने लगते हैं और पत्तियां पीली पड़कर सूख जाती हैं. आगे चलकर ये रोग गन्ने के तनों को अंदर से पूरी तरह खोखला बना देता है.

किसान ऐसे करें बचाव

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लाल सड़ने रोग के लगने पर गन्ने की फसल से सबसे पहले पौधे को खेत से हटा देना चाहिए, ताकि यह आगे जाकर अन्‍य पौधों में न फैले. गन्ने की फसल को इस रोग से बचाने के लिए किसानों को फसल पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना होगा. लाल सड़ने के उपचार के लिए किसानों को कार्बेंडाजिम 0.1% का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है. रोग द‍िखने पर फसल में इस दवा का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार कर लें , इसके बाद इस घोल को 15 दिनों के अंतराल में 2 बार फसलों पर छिड़कें. इस दवा के छिड़काव कर आसानी से लाल सड़न रोग से बचाव किया जा सकता है.

जैविक तरीकों से करें बचाव

गन्ने की फसल को लाल सड़न रोग से बचाने के लिए किसान कुछ तरह के जैविक उपायों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि किसान फसल की बुवाई से पहले रोग मुक्त और प्रमाणित बीजों का चुनाव करें, जो कि उन्नत किस्मों के हो. बुवाई करने से पहले खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर लें ताक मिट्टी में मौजूद वायरस नष्ट हो जाएं. किसानों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे बीज बुवाई से पहले बीजों को करीब 50 से 54 डिग्री सेल्सियस तापमान में 2 घंटे तक गर्म पानी में रखकर उपचारित करें. इस तरह इन तरीकों से गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग के लगने का खतरा कम हो जाएगा.

Published: 4 Aug, 2025 | 04:38 PM