गन्ने की फसल को खराब करता है गुलाबी चीकटा, कृषि विभाग ने बताए बचाव के उपाय

गुलाबी चीकटा की पहचान है कि ये कीट झुंड में आक्रमण करते हैं और गन्ने की गांठों में पाए जाते हैं. ये कीट देखने में गुलाबी रंग के होते हैं और आकार में या तो गोल या फिर चपटे होते हैं. वहीं काउन मिलिबग गन्ने की फसल की पत्तियों, तनों और लीफशीथ पर आक्रमण करते हैं .

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 10 Jul, 2025 | 07:30 PM

गन्ना एक ऐसी फसल है जिसकी खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है. अगर गन्ने की फसल से किसानों को अच्छी पैदावार मिलती है तो उन्हें आमदनी भी अच्छी होती है. लेकिन कई बार किसानों की लापरवाही के कारण या फिर सही जानकारी न होने के कारण गन्ने की फसल पर कीटों का आक्रमण हो जाता है और फसल बर्बाद हो जाती है. ऐसी ही एक कीट है गुलाबी चीकटा (Mealybug) और काउन मिलीबग जो कि गन्ने की फसल का रस चूसकर उसे खराब कर देते हैं. उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की ओर से किसानों को इस कीट के लक्षण और बचाव के उपाय बताएं हैं ताकि किसान समय रहते अपनी फसल को गुलाबी चीकटा से बचा सकें.

इन लक्षणों से करें पहचान

गुलाबी चीकटा की पहचान है कि ये कीट झुंड में आक्रमण करते हैं और गन्ने की गांठों में पाए जाते हैं. ये कीट देखने में गुलाबी रंग के होते हैं और आकार में या तो गोल या फिर चपटे होते हैं. वहीं काउन मिलिबग गन्ने की फसल की पत्तियों, तनों और लीफशीथ पर आक्रमण करते हैं . इस कीट के आक्रमण से फसल में पोक्का बोइंग रोग का संक्रमण हो जाता है जिससे गन्ने की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और गन्ने की पैदावार रुक जाती है. इसके अलावा इन कीटों का एक और लक्षण है कि इनके प्रभाव के कारण गन्ने के तनों पर चिपचिपा शहद जैसा पदार्थ रिसने लगता है जिसके कारण फसल पर ब्लैक सूटी मोल्ड का संक्रमण हो जाता है. उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर के निदेशक वी.के. शुक्ला ने बताया कि जुलाई से अगस्त के महीने में इन कीटों का संक्रमण सबसे ज्यादा पाया जाता है.

बचाव के लिए करें ये उपाय

  1. यूपी गन्ना परिषद, शाहजहांपुर द्वारा बताए गए उपाय के अनुसार गन्ने से प्रभावित लीफशीथ को हटाकर अलग कर दें. इसके बाद प्रति हेक्टेयर की दर से 200 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल या फिर 625 लीटर पानी में 1.25 लीटर डाइमेथोयेट 30 प्रतिशत ई.सी. को मिलाएं या फिर 500 से 1000 लीटर पानी में 1500 मिलीलीटर मोनोकोटोफ़स 36 एसएल को मिलाकर फसल पर छिड़काव करें.
  2. अगर गन्ने की फसल में पोक्का बोइंग रोग का संक्रमम बढ़ जाए तो कार्बेन्डाजिम 50 डब्लूपी 0.1 प्रतिशत का 400 ग्राम 400 लीटर पानी के साथ मिलाकर प्रति एकड़ की दर से फसल पर इसका छिड़काव करें. किसान चाहें तो 800 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लूपी का 0.2 प्रतिशत को 400 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर इसका छिड़काव कर सकते हैं.

ऐसे करें गन्ने की खेती

गन्ने की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट, बलुई दोमट या काली मिट्टी सबसे सही होती है, जिसका pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. बता दें कि गन्ने की खेती के लिए 20 डिग्री से 38 डिग्री सेल्सियस का तापमना सबसे बेस्ट होता है. बात करें गन्ने की फसल से होने वाली पैदावार की तो इसकी प्रति एकड़ फसल से किसानों को 40 से 60 टन की पैदावार मिलती है. अगर किसान उन्नत तकनीकों से गन्ने की खेती करें तो ये पैदावार बढ़कर 80 से 100 टन भी हो सकती है.

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Published: 10 Jul, 2025 | 07:30 PM

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