Irradiation Technique: जानिए कैसे यह तकनीक प्याज को लंबे समय तक रखेगी ताजा

लंबे समय तक प्याज को खराब होने से बचाया जा सकता है, जिससे बार-बार मंडी ले जाने या जल्दबाजी में बेचने की जरूरत नहीं होगी. इससे भंडारण और परिवहन में लगने वाला खर्च भी कम होगा और किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलेगा.

नई दिल्ली | Updated On: 16 May, 2025 | 11:04 AM

प्याज हमारे रोजमर्रा के खाने का जरूरी हिस्सा है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी परेशानी है जल्दी खराब हो जाना. कभी प्याज सड़ जाते हैं, तो कभी उनमें हरे अंकुर निकल आते हैं. ऐसे में न तो किसान को सही दाम मिलते हैं और न ही उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता का प्याज. इस समस्या का एक वैज्ञानिक समाधान अब सामने आया है, जिसे कहा जाता है इरैडिएटेड. यह एक ऐसी तकनीक है जो प्याज को लंबे समय तक ताजा और सुरक्षित रखने में मदद करती है. तो चलिए जानते हैं कि यह तकनीक क्या है, कैसे काम करती है और इससे हमें क्या फायदे मिल सकते हैं.

क्या होते हैं इरैडिएटेड प्याज?

इरैडिएटेड प्याज ऐसे प्याज होते हैं जिन्हें एक खास किस्म की किरणों (radiation) से उपचारित किया जाता है. इस प्रक्रिया में प्याज को आयनाइजिंग रेडिएशन (Ionizing Radiation) जैसे गामा किरणों से कुछ समय के लिए एक्सपोज किया जाता है. जिसके बाद यह प्रक्रिया प्याज को पकने से रोकती है, उसमें अंकुर निकलने की गति को कम करती है और लंबे समय तक ताजा बनाए रखती है.

कौन सी किरणों का इस्तेमाल होता है?

इस प्रक्रिया में दो रेडिएशन स्रोत सबसे ज्यादा उपयोग में लिए जाते हैं पहला कोबाल्ट-60 (Cobalt-60)और दूसरा सीजियम-137 (Cesium-137).इन स्रोतों से निकली गामा किरणों को वैज्ञानिकों द्वारा नियंत्रित किया जाता है ताकि प्याज को नुकसान न पहुंचे, बल्कि वो सुरक्षित और लंबे समय तक टिकाऊ बने रहें.

प्याज पर रेडियोधर्मी (radioactive) का असर

यह सबसे आम गलतफहमी है कि रेडिएशन का मतलब है कि चीजें खतरनाक या जहरीली हो जाती हैं. लेकिन इस प्रक्रिया में प्याज रेडियोधर्मी नहीं होते और न ही गर्म किए जाते हैं. यह प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), FAO और भारत के FSSAI जैसे संस्थान इसे मंजूरी दे चुके हैं.

इरैडिएटेड प्याज के फायदे

लंबी शेल्फ लाइफ: प्याज जल्दी खराब नहीं होते, 5-6 महीने तक टिक सकते हैं.

अंकुरण रुकता है: प्याज में हरी कलियां (अंकुर) जल्दी नहीं निकलतीं.

सड़न और फंगस से बचाव: बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण कम हो जाते हैं.

भंडारण आसान: किसानों और व्यापारियों को प्याज लंबे समय तक स्टोर करने में आसानी होती है.

कीमत में स्थिरता: जब प्याज नहीं सड़ते, तब मंडियों में सप्लाई बनी रहती है और दाम नहीं उछलते.

किसानों के लिए कितनी फायदेमंद ?

इरैडिएशन तकनीक किसानों के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है. इससे उन्हें अपनी फसल से बेहतर कमाई और लंबे समय तक फायदा मिल सकता है.

कम बर्बादी, ज्यादा कमाई

जब प्याज जल्दी सड़ते या अंकुरित होते हैं, तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन इरैडिएटेड प्याज तकनीक से ये नुकसान कम हो जाते हैं, क्योंकि प्याज ज्यादा समय तक ठीक रहते हैं. इससे किसान अपनी पूरी उपज बेच सकते हैं और बेहतर दाम कमा सकते हैं.

स्टोरेज का खर्च घटेगा

लंबे समय तक प्याज को खराब होने से बचाया जा सकता है, जिससे बार-बार मंडी ले जाने या जल्दबाजी में बेचने की जरूरत नहीं होगी. इससे भंडारण और परिवहन में लगने वाला खर्च भी कम होगा और किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलेगा.

क्या आम लोग इसे खरीद सकते हैं?

इसका जवाब है हां, इरैडिएटेड प्याज आम बाजारों में मिल सकते हैं. हालांकि इन्हें पैकिंग पर “irradiated” लिखा होना जरूरी होता है ताकि ग्राहक को जानकारी हो. खाने में इसका स्वाद, रंग, पोषण और गुणवत्ता में कोई खास फर्क नहीं आता.

भारत में इस तकनीक का इस्तेमाल

भारत में भी अब धीरे-धीरे इस तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है. भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) और कुछ सरकारी संस्थान किसानों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं. महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे प्याज उत्पादक राज्यों में इसका उपयोग शुरू हो गया है.

Published: 16 May, 2025 | 08:37 AM