यूरोप की तरह भारत में भी चुकंदर से बनेगी चीनी, शोध कर रहे कृषि वैज्ञानिक

चुकंदर से चीनी बनाने की प्रक्रिया यूरोप जैसे देशों में तो काफी आम बात है, लेकिन अब इसी प्रक्रिया से भारत में भी चीनी बनाई जाएगी.

नोएडा | Updated On: 16 May, 2025 | 01:11 PM

आज तक हम सब ने गन्ने से बनी चीनी के बारे में तो सुना है, लेकिन अब इस सोच को बदलते हुए मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने बीटरूट (चुकंदर) से चीनी बनाने की दिशा में रिसर्च शुरू कर दी है. बता दें कि भारत में चुकंदर से चीनी बनाने की प्रक्रिया अब शुरू हो रही है, जबकि यूरोप के कई देशों में काफी पहले से चुकंदर से चीनी बनाई जा रही है. इसके रिसर्च के लिए डेनमार्क की कंपनी से चुकंदर की किस्मों के बीज मंगाई गई है. बता दें की यूरोप में लगभग 40 प्रतिशत चीनी चुकंदर से ही बनाई जाती है. यह तकनीक सफल होती है, तो यह कृषि क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला सकती है. जिसे किसानों को कम लागत और पानी की बचत के साथ अधिक लाभ हो सकता है.

चुकंदर की तीन किस्मों पर हो रहा प्रयोग

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि विश्वविद्यालय में चुकंदर की 3 किस्मों पर रिसर्च की जा रही है.  दो किस्मों डेला और गुश्तिया के बीज को डेनमार्क से मंगाया गया है. इन दोनों किस्मों का चुकंदर सफेद रंग का होता है. तीसरी किस्म एक हाइब्रिड चुकंदर है और इसे जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में स्थित कृषि विश्व विद्यालय से लाया गया है.

गन्ने से ज्यादा चीनी देता है चुकंदर

आमतौर पर भारत में लाल या भूरे रंग के चुकंदर देखने को मिलते है, जिनमें सुक्रोज यानी प्राकृतिक शक्कर की मात्रा करीब 12 प्रतिशत होती है. वहीं, डेनमार्क के सफेद चुकंदर में सुक्रोज की मात्रा 15-16 प्रतिशत तक होती है. रिसर्च में शामिल कृषि वैज्ञानिक का मानना है की भारत में अब तक गन्ना ही पारंपरिक रूप से चीनी के लिए उगाया जाता है, जिसमें केवल केवल 8-9 प्रतिशत तक चीनी होती है. यदि 100 क्विंटल गन्ने से नौ क्विंटल चीनी प्राप्त होती है, तो चुकंदर से 15 से 16 क्विंटल चीनी अधिक प्राप्त की जा सकती है.

एमपी के तीन जिलों में चल रहा प्रयोग

मध्य प्रदेश में कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत तीन महाविद्यालयों में चुकंदर पर प्रयोग चल रहा है, जिसमें ग्वालियर के साथ ही इंदौर और मंदसौर के हॉर्टिकल्चर कॉलेजों में भी किया जा रहा है. अगर प्रयोग सफल रहा तो यह भारत में चीनी का एक जैविक और केमिकल फ्री ऑप्शन हो सकती हैं.

चीनी के लिए गन्ना का विकल्प बनेगा चुकंदर

इसके साथ बात करें चुकंदर की तो इसकी खेती कम पानी में भी आसानी से उगाया जा सकता हैं, जबकि गन्ने की खेती में पानी अधिक मात्र में इस्तेमाल होती है. जिसे चुकंदर गन्ने की खेती का अच्छा विकल्प बन सकता है. चुकंदर की बुआई के लिए सबसे सही समय नवंबर के बीच होता है. फसल 15 मार्च तक तैयार हो जाती है. चुकंदर की बुआई का सही समय अक्टूबर से नवंबर के बीच का होता है. और यह फसल फरवरी से मार्च तक तैयार हो जाती है.

Published: 16 May, 2025 | 01:11 PM