भारत में गन्ने की खेती उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक क्षेत्रफल में की जाती है. गन्ने खेती से राज्य में आर्थिक गतिविधियां तो बढ़ती ही है साथ ही साथ अगर गन्ने की पैदावार अच्छी हो जाए तो किसानों के जिन्दगी में भी गन्ने की मिठास घुल जाती है. बता दें कि गन्ने की फसल के लिए जुलाई और अगस्त का महीना बेहद हीं महत्वपूर्ण है. इन दिनों गन्ना सबसे तेजी के साथ बढ़ता है. लेकिन इन दिनों बारिश भी बहुत होती है, इसलिए गन्ने की फसल को बरसात में बर्बाद होने से बचाना एक बेहद ही चुनौतीपूर्ण कार्य है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जानकार बताते हैं कि जुलाई और अगस्त के महीने में गन्ना लगभग-लगभग 5 इंच प्रति सप्ताह की ग्रोथ करता है. वे बताते हैं कि यदि इस समय किसान गन्ने की फसल की बेहतर देखभाल करता लें तो गन्ने की फसल से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है. हालांकि जानकार ने किसान को सतर्क करते हुए कहा कि इन दिनों गन्ने की फसल पर पोक्का बोइंग नाम का कीट भी हमला करता है, जो खतरनाक हो सकता है. हालांकि उन्होंनें इससे बचाव के लिए किसान को रासायनिक उपाय करने की सुझाव दिया.
अगर गन्ने की फसल में ये लक्ष्ण दिखे तो हो जाएं सतर्क
पोक्का बोइंग एक खतरनाक कीट की प्रजाति है. यह आमतौर पर गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाती है. इस कीट के प्रभाव से शुरुआती दिनों में गन्ने की ऊपर की पत्तियां तने की जुड़ाव की ओर से तेजी से पीली और सफेद होने लगती है. कुछ दिनों बाद ये पत्तियां लाल भूरी होकर सूख जाती हैं. प्रभावित पंत्तियों का आकार भी छोटा हो जाता है.
अगर समय पर ध्यान नहीं दिया जाए तो ये लक्षण और भी गंभीर रुप में उभर कर सामने आने लगते हैं, जैसे की पत्तियों की ऊपरी हिस्सों में सड़न, जहां पत्तियों में विकृति और मुड़ना सबसे ज्यादा दिखता है. अधिक गंभीर हालात में पत्तियों का ऊपरी गुच्छा सड़कर सूख जाता है, पत्तियों के साथ-साथ डंठल के ऊपरी भाग भी गंभीर रुप से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं.
क्या है उपाय, कैसे करें रोग से बचाव
बारिश के मौसम में गन्ने की फसल को विशेष देखभाल की जरुरत है, क्योंकि यदि फसल किसी कीट या बीमारी के प्रभाव में 15 दिन तक आ गया तो फसल की बढवार प्रभावित होगी, जिसका उत्पादन पर असर पड़ेगा. यदि फसल पोक्का बोइंग के प्रभाव में है तो विशेषज्ञ का मानना है कि कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 0.2 ग्राम या कार्बेडाजिम 0.1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर छिड़काव करें. ऐसा करने से फसल को कीटों से बर्बाद होने से बचाया जा सकता है और फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है.