महाराष्ट्र में गन्ने का उत्पादन बढ़ाने और किसानों को ज्यादा लाभ दिलाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस AI) का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा. इसके लिए किसानों को एआई तकनीक लगाने में होने वाले खर्च का 64 फीसदी पैसा पुणे की चीनी मिल और वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट की ओर से दिया जाएगा. इसको लेकर एमओयू साइन किया गया है. गन्ने के अलावा एआई का इस्तेमाल चावल और बागवानी में भी करने की बात कही गई है.
गन्ने की खेती को बदल सकता है एआई
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि गन्ने की खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बदल सकता है और किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठा सकता है. वह महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाके और सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल की मौजूदगी में ‘कैसे एआई का इस्तेमाल खेती के क्षेत्र जैसे गन्ना खेती, चावल और बागवानी में किया जा सकता है’ विषय पर कार्यक्रम में बोल रहे थे. वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट और कृषि विकास ट्रस्ट के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह तकनीक अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचे.
प्रति एकड़ गन्ने की पैदावार बढ़ाना जरूरी
शरद पवार ने कहा कि चीनी मिलों को पर्याप्त गन्ना नहीं मिल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप पेराई सत्र केवल 100 दिन या उससे भी कम समय तक चलता है. इसके नतीजे में फैक्ट्री मशीनरी का कम उपयोग होता है और वित्तीय व्यवहार्यता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा इसका समाधान प्रति एकड़ गन्ने की पैदावार बढ़ाने में है और इसे हासिल करने के लिए एआई एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है. एआई का उपयोग करके गन्ने की पैदावार बढ़ाने के साथ ही अधिक चीनी और इथेनॉल जैसे उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा.
कृत्रिम बुद्धिमत्तेमुळे उसाचं अर्थकारण हे बदलू शकतं. शेतकऱ्यांचं जीवनमान सुधारायला मदत होऊ शकते. हजारो कोटी रुपये उत्पन्नाच्या माध्यमातून हे समाजाला मिळू शकतात. ते करण्यासाठी कृत्रिम बुद्धिमत्ता हे तंत्रज्ञान मोठ्या प्रमाणावर राबवणं, हा कार्यक्रम आपल्याला हातात घ्यायचा आहे.… pic.twitter.com/SORWxHvtS1
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) June 9, 2025
खेतों में मौसम केंद्र स्थापित करने की तैयारी
एआई गन्ने की अर्थव्यवस्था को बदल सकता है. यह किसानों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने और अच्छी आय उत्पन्न करने में मदद कर सकता है. इसलिए हमें इस तकनीक को बड़े पैमाने पर लागू करना चाहिए. पवार ने कहा कि एआई सभी फसलों के लिए उपयोगी होगा, लेकिन यह गन्ने के लिए एक सच्चा गेमचेंजर होगा. उन्होंने कहा कि कृषि विकास ट्रस्ट ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की मदद से एक कार्यक्रम शुरू किया है. पवार ने कहा, “वसंतदादा चीनी संस्थान और कृषि विकास ट्रस्ट के विशेषज्ञ मिलकर यह पता लगाने के लिए काम कर रहे हैं कि खेतों में मौसम केंद्र कैसे स्थापित किए जाएं. गन्ने की पैदावार बढ़ाने के लिए उनका उपयोग कैसे किया जाए.
एआई तकनीक लागत का 64 फीसदी पैसा मिलेगा
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि गन्ने के खेतों में एआई तकनीक स्थापित करने के खर्च के बारे में उन्होंने कहा कि शुरुआती लागत 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर है. इसमें से 9,000 रुपये किसान को खर्च करना होगा. 6,750 रुपये चीनी मिल देगी और 9,250 रुपये वसंतदादा संस्थान की ओर से दिए जाएंगे. यानी किसान को लागत का 64 फीसदी पैसा मदद के रूप में मिलेगा. उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि राज्य कृषि विभाग, महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक अब इस परियोजना में अधिक रुचि ले रहे हैं. एआई को लागू करने के लिए, ड्रिप सिंचाई आवश्यक है, उन्होंने प्रमुख ड्रिप सिंचाई प्रणाली निर्माताओं से मूल्य निर्धारण को कम करने का आग्रह किया.
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