पशुपालक खेत में जरूर उगाएं ये 5 फसलें, सालभर मिलेगा हरा चारा.. दूध होगा दोगुना

किसान ज्वार, बाजरा, मक्का, लोबिया और ग्वार की खेती करके सालभर हरे चारे की व्यवस्था कर सकते हैं. इससे पशुओं को पौष्टिक आहार मिलेगा, दूध उत्पादन बढ़ेगा और किसान की आय में इजाफा होगा.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 14 Aug, 2025 | 11:20 AM

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां की 80 फीसदी से ज्यादा आबादी खेती और पशुपालन से जुड़ी हुई है. खेती के साथ-साथ अब किसान पशुपालन को भी आय का बड़ा स्रोत बना रहे हैं. लेकिन पशुपालन में सबसे बड़ी चुनौती होती है- पशुओं के लिए सालभर हरे चारे की व्यवस्था करना. हरा चारा न केवल दूध उत्पादन बढ़ाता है, बल्कि पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद जरूरी है. इस समस्या का समाधान अब आसान हो गया है. रायबरेली के कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि कुछ खास फसलें ऐसी हैं, जिन्हें किसी भी मौसम में बोया जा सकता है और जिनकी मदद से सालभर हरा चारा मिल सकता है.

इन पांच फसलों से होगा हरे चारे की कमी का समाधान

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार किसान अगर ज्वार, बाजरा, मक्का, लोबिया और ग्वार की बुवाई करें तो वे पूरे साल भर हरे चारे की आपूर्ति कर सकते हैं. ये सभी फसलें किसी भी मौसम में उगाई जा सकती हैं और जल्दी पकने वाली होती हैं. इनके मिश्रण से पशुओं को भरपूर पोषण मिलता है, जिससे वे स्वस्थ रहते हैं और दूध उत्पादन में भी इजाफा होता है.

एक ही खेत में एक साथ बो सकते हैं सभी फसलें

अगर आपके पास ज्यादा जमीन है और आप बड़े स्तर पर चारा उत्पादन करना चाहते हैं, तो इन पांचों फसलों को एक साथ एक ही खेत में बोया जा सकता है. इसके लिए खास तकनीक अपनानी होगी- 2:1 के अनुपात में बुवाई करें. यानी दो कतारें एक फसल की और एक कतार दूसरी फसल की. इस तरीके से सभी फसलें अच्छी तरह उगेंगी और पशुओं के लिए पौष्टिक चारा तैयार होगा. बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलो बीज की आवश्यकता होती है.

खाद और पानी का प्रबंधन ऐसे करें

फसल की अच्छी पैदावार के लिए खेत की तैयारी के समय 50 किलो नाइट्रोजन, 30 किलो फास्फोरस और 30 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खाद डालें. बुवाई के एक महीने बाद फिर से 30 किलो नाइट्रोजन का छिड़काव करें. जिन इलाकों में पानी की कमी है, वहां बीज बुवाई के समय नाइट्रोजन की मात्रा 20 से 30 किलो प्रति हेक्टेयर रखें और बारिश के दौरान यह खाद डाल दें. इससे फसल को अच्छी ग्रोथ मिलेगी और हरा चारा अधिक मात्रा में मिलेगा.

फायदे ही फायदे-दूध उत्पादन बढ़ेगा, लागत होगी कम

हरे चारे से पशुओं को भरपूर पोषण मिलता है, जिससे वे स्वस्थ रहते हैं और अधिक दूध देते हैं. इससे किसान की आमदनी भी बढ़ती है. बाजार से चारा खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है. यही नहीं, यह चारा प्राकृतिक होता है, जिससे दूध की गुणवत्ता भी बढ़ती है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 14 Aug, 2025 | 11:20 AM

आम धारणा के अनुसार अमरूद की उत्पत्ति कहां हुई?

Side Banner

आम धारणा के अनुसार अमरूद की उत्पत्ति कहां हुई?