Chickpea cultivation: मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में किसान बड़े स्तर पर चने की बुवाई कर रहे हैं. लेकिन बुवाई करने से पहले किसानों को जरूरी बातें भी जान लेनी चाहिए. क्योंकि सही समय पर सिंचाई नहीं की गई तो फसल को नुकसान भी पहुंच सकता है. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा. दरअसल, चना बहुत ही संवेदनशील फसल है. ऐसे में एक छोटी से लापरवाही से फसल चौपट हो सकती है. इसलिए आज हम किसानों को जरूरी जानकारी देने जा रहे हैं, जिसे अपनाने से चने की पैदावार बढ़ जाएगी.
कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, चना किसानों के लिए सबसे भरोसेमंद रबी फसल है, लेकिन छोटी-सी गलती से भी नुकसान पहुंच सकता है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि चने की फसल में फूल आने का समय सबसे नाज़ुक होता है. इस दौरान सिंचाई नहीं करनी चाहिए. अगर आप गलती से भी सिंचाई कर देते हैं, तो फसल को नुकसान हो सकता है. इसलिए इस चरण में किसानों को सिंचाई से बचना चाहिए, ताकि फसल सुरक्षित रहे और उत्पादन प्रभावित न हो.
कितने दिनों के बाद करें चने की सिंचाई
दरअसल, चना एक ऐसी फसल है जो गेहूं और मक्का की तुलना में कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है. इसलिए किसानों की इस फसल में रुचि बढ़ रही है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सिंचाई में छोटी-सी लापरवाही भी उत्पादन को बहुत घटा सकती है. खासकर फूल आने के समय पानी देना फसल के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है. क्योंकि चना ऐसी फसल है, जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार देता है. अगर सिंचाई सही तरीके से की जाए तो उत्पादन और बढ़ जाता है. इसलिए बुआई के 20 से 25 दिन बाद पहली सिंचाई जरूरी है. पानी उपलब्ध होने पर दूसरी सिंचाई 35 से 45 दिन या पौधों की उम्र के हिसाब से की जा सकती है. लेकिन जब पौधों में फूल आने लगें, तो सिंचाई बिल्कुल बंद कर देनी चाहिए.
असमय सिंचाई से फूलों की बढ़त रुक जाती है
कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, फूल आने के समय अगर पानी दिया जाए तो फूलों की बढ़त रुक जाती है और वे झड़ने लगते हैं, जिससे फलियां कम बनती हैं और उत्पादन घटता है. इसलिए किसानों को फूल आने से पहले आखिरी सिंचाई कर देनी चाहिए. बाद में अगर खेत सूखा लगे और पौधों को पानी की जरूरत हो, तो तब तब सिंचाई करें जब पौधों में 75 से 80 फीसदी फलियां बन चुकी हों. इस समय पानी देने से फसल सुरक्षित रहती है और नुकसान नहीं होता है.