Farming Tips: भारत में मटर की गिनती उन फसलों में होती है जो किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा देती हैं. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्यों में मटर की खेती रबी मौसम में बड़े पैमाने पर की जाती है. इसका उपयोग न केवल सब्जियों के रूप में, बल्कि सूखी दाल के रूप में भी किया जाता है. हालांकि कई बार किसान शिकायत करते हैं कि उनकी मटर की फसल में फूल और फली बनने की संख्या कम हो जाती है. इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है. अगर आप भी ऐसी समस्या का सामना कर रहे हैं, तो आइए जानते हैं मटर में फूल और फल की संख्या बढ़ाने के प्रभावी उपाय.
मटर में फूल और फल कम आने के कारण
मटर की फसल में फूलों और फलों की संख्या कम होने के कई कारण हो सकते हैं. सबसे पहले बात करें पोषण की. मटर एक दलहनी फसल है, जो नाइट्रोजन खुद तैयार करती है, लेकिन इसके बावजूद फास्फोरस, पोटैशियम, कैल्शियम और सल्फर जैसे पोषक तत्वों की कमी होने पर पौधों की वृद्धि रुक जाती है. मिट्टी में सूक्ष्म तत्व जैसे बोरॉन, जिंक और आयरन का अभाव भी फूल बनने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है.
इसके अलावा, असमय सिंचाई भी मटर की फसल को नुकसान पहुंचाती है. जब पौधों में फूल आ रहे हों, उस समय ज्यादा पानी देने से फूल झड़ने लगते हैं. कई बार स्प्रिंकलर सिस्टम से सिंचाई करने पर भी कोमल फूलों को नुकसान पहुंचता है.
सर्दी और पाले का असर भी मटर की फसल पर गहरा पड़ता है. अत्यधिक पाला पड़ने से फूल मुरझा जाते हैं और फलियां बन ही नहीं पातीं. साथ ही, अगर किसान नाइट्रोजन खाद का अधिक प्रयोग कर देते हैं, तो पौधा हरा-भरा तो दिखेगा, लेकिन उसमें फूल कम आएंगे.
पोषण प्रबंधन से बढ़ाएं उत्पादन
अगर आप चाहते हैं कि आपकी मटर की फसल में अधिक फूल और फल आएं, तो सबसे पहले मिट्टी की जांच जरूर कराएं. इससे पता चलेगा कि उसमें कौन से पोषक तत्वों की कमी है. मिट्टी तैयार करते समय जैविक खाद, गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें.
फूल आने से पहले खेत में प्रति एकड़ लगभग 3 किलो कैल्शियम नाइट्रेट और 1 किलो बोरॉन डालना बहुत फायदेमंद रहता है. इससे पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और फूल गिरने की समस्या कम होती है.
सही समय पर छिड़काव से बढ़ेगी फसल
फूल बनने से ठीक पहले पौधों पर विशेष पोषक तत्वों का छिड़काव करना भी जरूरी होता है. आप प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम 12-61-00 ग्रेड डीएपी और 1 ग्राम चिलेटेड माइक्रोन्यूट्रिएंट्स मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं. इससे फूलों की संख्या में बढ़ोतरी होती है और फलीयां मजबूत बनती हैं.
इसके अलावा, पौधों को अतिरिक्त ऊर्जा देने के लिए अमिनो एसिड, विटामिन और प्रोटीन से युक्त फसल वृद्धि पोषक घोल का उपयोग करें. 15 लीटर पानी में 10 मिली घोल मिलाकर छिड़काव करने से पौधे अधिक स्वस्थ बनते हैं और उत्पादन क्षमता बढ़ती है.
मौसम और सिंचाई का संतुलन रखें
मटर की फसल को ठंडा मौसम पसंद होता है, लेकिन अत्यधिक पाला इसके लिए हानिकारक साबित होता है. इसलिए ठंडी हवाओं से बचाव के लिए रात के समय खेत के किनारों पर धुएं की परत बनाना उपयोगी होता है. सिंचाई केवल जरूरत के अनुसार करें. फली बनने के समय हल्की सिंचाई करने से उपज में सुधार होता है.