Pea Crop Disease : हरी मटर किसानों के लिए कम समय में ज्यादा कमाई का बेहतरीन विकल्प मानी जाती है. खासकर अक्टूबर के महीने में बोई गई मटर की फसल बाजार में तगड़ा भाव दिला सकती है. लेकिन यही मटर की फसल अगर उकठा रोग की चपेट में आ जाए तो पूरी मेहनत पर पानी फिर सकता है. यह रोग इतना खतरनाक है कि पौधे की जड़ से लेकर पत्तियों तक सब कुछ सड़ा देता है. अगर किसान शुरुआत में ही सावधानी न बरतें तो लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है. इसलिए जरूरी है कि समय रहते इस बीमारी को पहचानें और सही कदम उठाएं.
उकठा रोग क्या है और कैसे करता है हमला?
मटर की फसल में यह रोग फंगस की वजह से होता है, जो पहले से ही मिट्टी में मौजूद रहता है. जैसे ही पौधा जमीन में बढ़ना शुरू करता है, यह फंगस सबसे पहले उसकी जड़ों पर हमला करता है. जड़ें कमजोर पड़ती हैं और पौधा पौष्टिक तत्व नहीं ले पाता. धीरे-धीरे उसकी ग्रोथ रुक जाती है और पौधा मुरझाने लगता है.
इन लक्षणों को देखते ही समझ जाएं खतरा शुरू
- पौधे की नीचे वाली पत्तियां पीली या मुरझाई हुई दिखें
- पौधों की गति रुक जाए और ग्रोथ धीमी हो जाए
- अगर तने या जड़ को काटें तो अंदर से भूरा रंग दिखाई दे
- कई पौधे एक साथ सूखने लगें
- ऐसे लक्षण दिखते ही तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, वरना पूरा खेत खराब हो सकता है.
बीज को ऐसे करें सुरक्षित
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस रोग से बचने का सबसे आसान और जरूरी तरीका है बीज उपचार करना. बुवाई से पहले बीजों को 3 ग्राम थीरम (Thiram) प्रति किलो बीज की दर से अच्छी तरह मिलाकर सुखा लें. चाहें तो इसके साथ किसी सिस्टमैटिक कीटनाशक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे रोग के फैलने की संभावना काफी कम हो जाती है.
मिट्टी को भी देना होगा इलाज
अगर मिट्टी में ही फंगस मौजूद है तो केवल बीज उपचार काम नहीं करेगा. इसलिए बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें. अंतिम जुताई से पहले ट्राईकोडर्मा को गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर पूरे खेत में बिखेर दें. इससे मिट्टी में मौजूद फंगस नष्ट हो जाएगा और पौधों को शुरुआत से ही साफ वातावरण मिलेगा.
अगर फिर भी रोग दिखे तो तुरंत करें ये काम
अगर फसल में कुछ पौधे फिर भी संक्रमित दिखाई दें तो उन्हें तुरंत उखाड़कर खेत से बाहर फेंक दें. वरना वही पौधा बाकी स्वस्थ पौधों को भी संक्रमित कर देगा. समय रहते छोटी संख्या में पौधों को हटाना पूरी फसल को बचाने का सबसे बढ़िया तरीका है.