एक ओर जहां दिल्ली की दम घोंटू हवा से लोग परेशान हैं, उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर पड़ता है. वहीं, दिल्ली में एक ऐसे किसान हैं जो ‘जहर मुक्त खेती’ यानी जैविक खेती कर रहे हैं. इससे न केवल शुद्ध फसलों का उत्पादन हो रहा है बल्कि वातावरण को भी शुद्ध रखने में मदद हो रही है. हमारे सफल किसान की सीरीज ‘खेती के रास्ते सफल यात्रा’ में आज हम बात कर रहे हैं दिल्ली के सफल किसान सत्यवान की. जो खुद कई तरह की फसलें उगाकर सफलता की सीढ़ी चढ़ रहे हैं, साथ ही अपने कई सहयोगियों को भी रोजगार देकर उनका जीवन बेहतर कर रहे हैं.
‘किसान इंडिया’ से विशेष बातचीत में सफल किसान सत्यवान ने बताया कि वे अपनी जमीन पर अलग-अलग फसलों की खेती करते हैं जिससे उनकी सालाना आय करीब 6 लाख रुपये अधिक हो जाती है. जैविक खेती करने के लिए साल 2020 में उन्हें केंद्री कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से अध्येता किसान पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
2012 में खेती को दिया नया मोड़
उत्तर पश्चिम दिल्ली में बवाना के पास दरियापुर कलां गांव के रहने वाले सफल किसान सत्यवान ने ‘किसान इंडिया’से बात करते हुए बताया कि खेती उनका खानदानी पेशा है जिसको साल 2012 में उन्होंने नया मोड़ दिया. सत्यवान ने ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत की जिसे उन्होंने जहर मुक्त खेती का नाम दिया. सत्यवान से अपनी 1 एकड़ जमीन पर जैविक खेती की शुरुआत की जिसमें उन्होंने सबसे पहले धान और गेहूं की फसल लगाई. उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में सही जानकारी न होने के कारण उनको मन मुताबिक नतीजा नहीं मिला. लेकिन 2 साल तक लगातार की गई कोशिशों के बाद सत्यवान को फसलों का अच्छा उत्पादन भी मिला और अपने साथ-साथ उन्होंने दूसरों के लिए भी फसलों का उत्पादन शुरु किया. वे बताते हैं कि आज उनकी उगाई गई फसलों की मांग पैदावार से ज्यादा है.

Farmer Satyavan with PM Modi
आज 5-6 एकड़ जमीन पर करते हैं खेती
‘किसान इंडिया’ से बात करते हुए सफल किसान सत्यवान ने बताया कि उन्होंने 1 एकड़ जमीन पर जैविक खेती की शुरुआत की थी. अच्छे उत्पादन और सफलता के बाद आज सत्यवान 5-6 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं. अपनी जमीन पर सत्यवान प्याज, गन्ना, धान , गेहूं समेत दलहनी फसलों की भी खेती करते हैं. वे बताते हैं कि दलहनी फसलों की कटाई के बाद मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ जाती है जिसके कारण उसी खेत में बोई जाने वाली अगली फसल अच्छा उत्पादन देती है. अपने सहयोगियों की मदद से सत्यवान बड़े पैमाने पर अलग-अलग फसलों की खेती कर रहे हैं. उनके सहयोगियों में महिलाएं भी शामिल हैं. जैविक खेती शुरु करने के पीछे सत्यवान का उद्देश्य ऐसी फसलों को उगाना था जिसके इस्तेमाल से किसानों और उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना न करना पड़े.

Success Farmer Satyavan
घर में ही बनाते हैं बीज और खाद
सफल किसान सत्यवान ने बताया कि वे मृदा स्वास्थ कार्ड की मदद से अपने खेत की मिट्टी की जांच करते हैं. इसके बाद वे मिट्टी की उर्वरता और पीएच मान के अनुसार फसलों का चुनाव करते हैं. मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए सत्यवान किसी भी तरह की केमिकल खाद का इस्तेमाल नहीं करते. वे पूरी तरह से घरेलू खादों पर ही निर्भर रहते हैं और अपने खेतों में गोबर की या अन्य घरेलू खादों का ही इस्तेमाल करते हैं. सत्यवान बताते हैं कि अपनी फसलों के लिए वे खुद ही बीज तैयार करते हैं और अपनी ही नर्सरी में तैयार किए गए पौधों का निर्माण करते हैं. किसान इंडिया से बात करते हुए किसान सत्यवान ने बताया कि उन्होंने 4 साल तक प्रयोग करने के बाद प्याज के बीज का निर्माण किया.
6 लाख तक होती है कमाई
किसान सत्यावन खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं. वे देसी गायों के दूध से बने घी को बाजार में 3 हजार रुपये किलो तक बेचते हैं जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा होता है. वे बताते हैं कि उनके पास करीब 25 से 30 सहयोगी हैं जो उनके साथ ही रहते हैं. अपनी जैविक खेती के माध्यम से सत्यावान लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. ‘किसान इंडिया’ से बात करते हुए सत्यवान ने बताया कि उन्हें खेती में करीब 1 से 1.5 लाख की लगात आती है वहीं उनकी कुल सालाना कमाई 6 लाख तक होती है. यानी अगर उनकी लागत का खर्च उनकी कमाई से हटा दी जाए तो उनकी शुद्ध कमाई 4 से 4.5 लाख तक होती है.

Success Farmer Satyavan Award Certificates
विभिन्न कृषि पुरस्कारों से सम्मानित
साल 2020 में किसान सत्यवान को प्रगतिशील किसान और व्यावसायिक स्तर पर खेती को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान-अध्येता पुरस्कार से सम्मानित किया भी किया गया है. प्रगतिशील किसान के तौर पर किसान सत्यवान को पहचान मिली है. साथी किसानों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित करने में भी सत्यवान ने अहम भूमिका निभाई है. किसान सत्यवान का कहना है कि किसानों को बेहतर उत्पादन के लिए मौसमी फसलों की ही खेती करनी चाहिए. उनका मानना है कि किसानों को ऐसी खेती करनी चाहिए जिससे किसानों को भी मुनाफा हो और वातावरण भी प्रदूषण मुक्त हो.