राजस्थान की मशहूर फली सांगरी को जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग मिल गया है, जिससे इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में दो से तीन गुना बढ़ने की उम्मीद है. यह खासतौर पर पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर, बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में उगाई जाती है. राजस्थान के अब तक 17 उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है. इससे पहले 2021 में सोजत मेहंदी को 16वां जीआई टैग मिला था. इस बार सांगरी को जीआई टैग दिलाने में स्वामी केशवानंद राजस्थान एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की बड़ी भूमिका रही.
जीआई टैग मिलने के बाद सांगरी के निर्यात मूल्य में भारी इजाफा हो सकता है. इसकी कीमत अब 1500 से 3000 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकती है. जीआई लेबल लगने से उपभोक्ताओं को असली और अच्छी गुणवत्ता वाली सांगरी मिल सकेगी.
3000 रुपये प्रति किलो तक रेट पहुंचने की उम्मीद
दरअसल, इसी साल जनवरी महीने में बीकानेर के स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय ने चेन्नई स्थित जीआई रजिस्ट्री ऑफिस में सांगरी के लिए जीआई टैग की मांग करते हुए आवेदन किया था. सांगरी एक फली है जो खासतौर पर पश्चिमी राजस्थान के सूखे इलाकों जैसे जैसलमेर और बाड़मेर में पाया जाता है. अब जीआई टैक मिलने के बाद सांगरी को वैश्विक पहचान मिलेगी. साथ ही सांगरी के पेड़ों को संरक्षित करने में भी मदद मिलेगी. जीआई टैग मिलने के बाद सांगरी और इससे बने उत्पादों की कीमत बढ़कर करीब 3000 रुपये प्रति किलो तक पहुंचने की उम्मीद है.
600 उत्पादों को जीआई टैग मिला हुआ है
बता दें कि जीआई टैग एक अहम बौद्धिक संपदा सुरक्षा है. भारत में फिलहाल करीब 600 उत्पादों को जीआई टैग मिला हुआ है, जिनमें से लगभग 200 कृषि उत्पाद हैं. राजस्थान में अभी तक सोजत मेहंदी को कृषि उत्पाद रूप में जीआई टैग मिला हुआ था. लेकिन अब इस लिस्ट में सांगरी का नाम भी शामिल हो गया है. एक्सपर्ट का कहना है कि जीआई टैक मिलने से सांगरी के पेड़ों का संरक्षण मिलेगा. पेड़ों की कटाई पर रोक लगेगी.