Onion Farming: रबी सीजन की शुरुआत होने के साथ ही देशभर कि किसान बड़े पैमाने पर प्याज की बुवाई की तैयारियों में जुट गए हैं, कई हिस्सों में किसान बुवाई कर भी चुके हैं. ऐसे में किसान अगर प्याजी की खेती के लिए इसकी उन्नत किस्मों का चुनाव करते हैं और वैज्ञानिक तरीका अपनाते हैं तो किसान कम लागत में ज्यादा उत्पादन ले सकते हैं. प्याज की खेती खरीफ, रबी और जायद तीनों ही मौसमों में की जा सकती है. लेकिन इसकी खेती से अच्छी पैदावार करने के लिए जरूरी है कि किसान इसकी बुवाई से पहले इन 5 बातों का ध्यान जरूर रखें ताकि फसल रोगों से सुरक्षित रहे और बाजार में किसानों को बेहतर दाम दिला सके.
1- सही मिट्टी का चुनाव
प्याज की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट या दोमट मिट्टी सबसे सही मानी जाती है , जिसका pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. प्याज की खेती करने वाले किसानों के लिए जानना जरूर है कि इसके बीज ठंड़ी जलवायु में अंकुरण और गर्म जलवायु में बल्ब विकास बेहतर तरीके से करते हैं. खेती की तैयारी करते समय अच्छे से 2 से 3 बार खेत की गहराई में जोतना जरूरी है और पानी निलकने का सही इंतजाम जरूर करें ताकि, खेत में पानी न जमा है, क्योंकि जलभराव प्याज की फसल को नुकसान पहुंचाता है.
2-उन्नत किस्मों की खेती करें
प्याज की खेती करने का मन बना रहे किसानों के लिए जरूरी है कि मौसम को देखते हुए इसकी उन्नत किस्मों का चुनाव करें. इन उन्नत किस्मों में NHRDF Red-2, Agrifound Light Red, Pusa Red, N-53, Bhima Super आदि शामिल हैं. ये प्याज की कुछ उन्नत किस्में हैं जिनकी खेती करेन की सलाह खुद कृषि वैज्ञानिक देते हैं.
3- बीज बुवाई और खेत की तैयारी
रबी सीजन की बात करें तो प्याज की खेती के लिए अक्टूबर से नवंबर तक का समय बेस्ट होता है वहीं, इसकी प्रति हेक्टेयर फसल के लिए करीब 8 से 10 किलोग्राम बीजों की जरूरत होती है. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खेत की तैयार करते समय मिट्टी में 15 से 20 टन सड़ी हुई गोबर की खाद जरूर डालें और बीज बुवाई करने से पहले खेत में क्यारियां जरूर बनाएं ताकि, जल निकासी अच्छे से हो सके.
4- सिंचाई का रखें खास खयाल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्याज की फसल को पहली सिंचाई की जरूरत फसल बुवाई के तुरंत बाद चाहिए होती है और इसके बाद मिट्टी के अनुसार, हर 8 से 10 दिन बाद पर सिंचाई करें. साथ ही फसल में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए 25 से 30 दिन में निराई-गुड़ाई जरूर करें. बता दें कि, फसल को कीट और रोगों से बचाने के लिए सल्फर या ट्राइकोडर्मा का छिड़काव करना फायदेमंद होता है.
5- किसानों को कैसे होता है फायदा
किसान अगर प्याज की खेती के लिए उन्नत किस्में, जैविक खाद और सही सिंचाई प्रणाली को अपनाते हैं तो, वे इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से 250 से 300 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं. बता दें कि, बाजार में प्याज की औसत बाजार कीमत 10 रुपये से 20 रुपये प्रति किलोग्राम तक रहती है, जिससे किसानों को 2.5 से 3 लाख रुपये तक शुद्ध लाभ मिल सकता है.