रबी के लिए वरदान है ये बारिश, अभी इन फसलों की बुवाई करने पर 20 फीसदी बढ़ जाएगी पैदावार

अक्टूबर में हुई बारिश से खेतों में नमी बढ़ी है, जिससे रबी फसलों की बुवाई और पैदावार बेहतर होगी. किसानों को गेहूं के रोगों व कीटों से बचाव के लिए कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर सही कीटनाशक और उर्वरक का इस्तेमाल करना चाहिए. यह तरीका मुनाफा बढ़ाने में मददगार साबित होगा.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 8 Oct, 2025 | 05:12 PM

Rabi crop sowing: अक्टूबर महीने की शुरुआत से कई राज्यों में रूक-रूक कर बारिश हो रही है. इससे खेतों में कटने के लिए तैयार धान की फसल को नुकसान पहुंचा है. लेकिन ये बारिश रबी फसल की बुवाई की तैयारी कर रहे किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. क्योंकि बारिश से खेतों में नमी बढ़ गई है. इससे चना, सरसों और गेहूं जैसी फसलों की बुवाई करने में अब आसानी से हो सकेगी. साथ ही इस मौसम से किसानों को फायदा होगा, क्योकि खेतों में नमी अधिक होने से पैदावार में बढ़ोतरी होगी.

कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, रबी फसलों की बुवाई का सबसे सही समय अक्टूबर के पहले सप्ताह से लेकर मध्य नवंबर तक होता है. चना की बुवाई 1 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच सबसे अच्छी मानी जाती है, जबकि सरसों की बुवाई  मध्य अक्टूबर से नवंबर के पहले सप्ताह तक होती है. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर खेतों में नमी 50 फीसदी से ज्यादा हो, तो फसल की पैदावार 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ सकती है.

गेहूं के लिए खतरनाक हैं ये रोग

वहीं, गेहूं की बुवाई की तैयार कर रहे किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने खास सलाह दी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि गेहूं की फसल  को छह मुख्य तरह के रोग प्रभावित करते हैं, जिसमें  कंडुआ, करनाल, झुलसा, पीला रतुआ, काला रतुआ, झोंका रोग और जड़ गलन शामिल हैं. इसके अलावा, पांच तरह के कीट जैसे गंधी बग, दीमक, अलसी का सुंडी, लाही और जसिड भी फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

किसान ले सकते हैं सलाह

गेहूं की फसल को रोग और कीट से बचाने के लिए किसान अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और विशेषज्ञ की सलाह लेकर सही कीटनाशक  का इस्तेमाल करें. इससे फसल खराब नहीं होगी और कीट भी कम लगेंगे. आजकल कई किसान अपनी गेहूं की फसल से लाखों रुपए कमा रहे हैं. आप भी सही तरीका अपनाकर घर बैठे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बस सही तरीके को फॉलो करें और लाभ उठाएं.

बुवाई के समय उर्वरक डालें

अगर किसान रबी फसल की अधिक पैदावार चाहते हैं, तो बुवाई के समय उर्वरक को हमेशा कतार में डालें और बेतरतीब छिड़काव न करें. उर्वरक का इस्तेमाल मृदा स्वास्थ्य कार्ड में दिए निर्देशों के अनुसार ही करें. जब फसल घुटनों तक पहुंच जाए, तब ही यूरिया छिड़काव  करें. फसल को जरूरी पोषक तत्व देने के लिए नैनो यूरिया जैसे नए उर्वरक का इस्तेमाल करें. दहलनी और तिलहनी फसलों में डीएपी की जगह सिंगल सुपर फास्फेट लगाएं. नाइट्रोजन उर्वरक कम करने के लिए बीजों को एजोटोबेक्टर और राइजोबियम जीवाणु खाद से उपचारित करें.

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