Gram Dal Farming: अक्टूबर महीने की शुरुआत के साथ ही मध्य प्रदेश के खरगोन जिला सहित कई राज्यों में चने की बुवाई शुरू हो गई है. वहीं, कई किसान अभी खेत तैयार करने की तैयारी ही कर रहे हैं. लेकिन चना किसानों को डर है कि हर साल की तरह इस सीजन में भी बिल्ट रोग फसल को नुकसान न पहुंचा दे. क्योंकि चना किसानों के लिए बिल्ट रोग या पौधों के सूखने की समस्याों का सामना हर साल करना पड़ा है. इससे उनकी मेहनत और खर्च दोनों बेकार हो जाते हैं और उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन अब किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. किसान नीचे बताए गए उपयों को अपनाकर अपनी फसल को नुकसान से बचा सकते हैं.
कृषि एक्सपर्ट के अनुसार, चना फसल में बीमारी और पौधों के सूखने से बचने के लिए किसानों को अपनी पुरानी आदतें बदलनी होंगी. अक्सर किसान लगातार एक ही खेत में चना लगाते हैं, जिससे पौधे ठीक से नहीं बढ़ पाते और सूख जाते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि बार-बार एक ही जगह चना लगाने से मिट्टी में बीमारी फैलती है, जो अगली फसल को भी नुकसान पहुंचाती है. इसलिए किसानों को चाहिए कि वे लगातार एक ही खेत में चना न लगाएं.
गेहूं के खेत में बोएं चना
साथ ही कृषि वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि इस बार बुआई के समय किसान फसल चक्र अपनाएं. इसका मतलब है कि जिस खेत में पिछले साल चना बोया था, वहां इस बार गेहूं, मक्का या कोई और अनाज लगाया जाए. और जिस खेत में गेहूं था, वहां चना बोया जाए. इस तरीके से बिना ज्यादा खर्च या दवा के चने की फसल सूखने से बचाई जा सकती है.
फसल चक्र के फायदे
वैज्ञानिकों का कहना है कि फसल चक्र अपनाने से किसानों को और भी फायदा होता है. जब एक ही खेत में अलग-अलग फसलें बोती हैं, तो मिट्टी को आराम मिलता है और जरूरी पोषक तत्व फिर से बनते हैं. इससे जमीन की उर्वरता बनी रहती है और अगली फसल बेहतर होती है. विशेषज्ञ भी मानते हैं कि यह तरीका सिर्फ चने की फसल को बचाने में मदद नहीं करता, बल्कि जमीन की सेहत भी मजबूत करता है.
चने की पैदावार
बता दें कि चने की अच्छी पैदावार कई चीजों पर निर्भर करती है, जैसे कि बेहतर बीज का चुनाव, सही समय पर बोवाई, मिट्टी का प्रकार और सही देखभाल. सिंचाई वाले इलाकों में उन्नत तरीके अपनाकर प्रति हेक्टेयर 25-28 क्विंटल चना उगाया जा सकता है, जबकि कुछ खास किस्मों से 40 क्विंटल तक भी मिल सकता है. खेती के सही तरीके, बीज की मात्रा, खरपतवार हटाना और उकठा जैसे रोगों से बचाव करना जरूरी होता है, ताकि अच्छी फसल हो सके.