Chickpea Crop: चने की खेती भारत में रबी सीजन की एक प्रमुख और लाभकारी फसल मानी जाती है. प्रोटीन से भरपूर चना कम पानी में भी उगाया जा सकता है और किसानों के लिए अच्छी आमदनी का जरिया बन सकता है. लेकिन इस फसल की सबसे बड़ी चुनौती खरपतवार हैं. अगर समय रहते खरपतवारों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह चने की फसल से पोषक तत्व छीन लेते हैं और उत्पादन 30-40 फीसदी तक घट सकता है. ऐसे में किसानों के लिए यह जरूरी है कि वे कुछ सरल और कारगर तकनीक अपनाएं, जिससे उनकी फसल सुरक्षित रहे और बेहतर पैदावार दे.
चने के खेत में पाए जाने वाले मुख्य खरपतवार
चने के खेत में सबसे अधिक बथुआ, हिरणखुरी, अकवन, सती, मूंज घास, क्रूसीफर खरपतवार और डोब घास जैसी खरपतवारें पाई जाती हैं. ये फसल के लिए पोषण की जगह ले लेते हैं और मिट्टी में मौजूद नमी और खाद्य तत्वों को भी घटा देते हैं. इससे फसल कमजोर होती है और उत्पादन कम हो जाता है.
खेत की तैयारी
चने की बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करना बहुत जरूरी है. पहली बारिश के बाद गहरी जुताई करने से खरपतवारों के बीज अंकुरित नहीं हो पाते. इसके लिए रोटावेटर या हैरो का उपयोग करें और मिट्टी को भुरभुरी बनाएं. इससे खरपतवारों की जड़ें खत्म होती हैं और बीज अंकुरित नहीं हो पाते
फसल चक्र अपनाएं
हर साल एक ही प्रकार की फसल लगाने से खेत में खरपतवार जल्दी पनप जाते हैं. इसके बजाय फसल चक्र अपनाएं. उदाहरण के लिए चने के साथ गेहूं, सरसों या ज्वार-बाजरा की फसल लगाने से खरपतवारों का प्रभाव कम होता है और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है.
निराई-गुड़ाई
चने की फसल के लगने के 20-30 दिन के अंदर पहली निराई-गुड़ाई करना जरूरी है. इसके बाद 40-45 दिन बाद दूसरी गुड़ाई करें. इससे खरपतवार पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं और फसल को पर्याप्त पोषण मिलता है.
मल्चिंग तकनीक
खेत में पुआल या घास की परत बिछाने से खरपतवारों की वृद्धि रुकती है. साथ ही यह मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद करती है और चने की फसल अधिक मजबूत और स्वस्थ रहती है.
जैविक और रासायनिक नियंत्रण
खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के तुरंत बाद पेन्डीमिथालिन 30 फीसदी या इमेजाथापायर 10 फीसदी का छिड़काव किया जा सकता है. इसके अलावा गोमूत्र, नीम का अर्क या देशी खाद जैसी जैविक तकनीक से भी खरपतवारों पर असर डाला जा सकता है.
सही बुवाई तकनीक
बीजों को कतारों के बीच 30-35 सेमी की दूरी पर बोएं. अधिक घनी बुवाई से खरपतवारों के पनपने की जगह नहीं बचती और फसल आसानी से फैलती है.
इन आसान उपायों को अपनाकर किसान अपनी चने की फसल को खरपतवारों से सुरक्षित रख सकते हैं. समय पर निराई-गुड़ाई, मल्चिंग, सही बुवाई और जैविक या रासायनिक उपायों का इस्तेमाल करने से फसल की पैदावार बढ़ती है और गुणवत्ता भी बेहतर होती है. सही तकनीक अपनाने वाला किसान न केवल अच्छी उपज पाता है, बल्कि आर्थिक रूप से भी मजबूत बनता है.