Onion Farming: अक्टूबर महीने के आगमन के साथ ही किसान रबी प्याज की बुवाई करने के लिए खेत को तैयार करने में लग गए हैं. 15 तारीख के बाद से बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब सहित लगभग पूरे देश में प्याज की रोपाई शुरू हो जाएगी. लेकिन बहुत से किसानों की शिकायत है कि उनके खेत में प्याज के कंद का साइज बड़ा नहीं होता है. ऐसे में पैदावार उम्मीद के मुकाबले कम होती है. पर अब ऐसे किसानों की चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम ऐसे घरेलू नुस्खे के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिससे अपनाते ही प्याज की पैदावार बढ़ जाएगी. साथ ही प्याज के कंद का साइज भी बड़ा होगा. इससे किसानों की कमाई में भी बढ़ोतरी होगी
दरअसल, 15 अक्टूबर से मध्य नवंबर का महीना प्याज की खेती के लिए बेस्ट माना गया है. हालांकि, कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि आलू की तरह ही प्याज की फसल को भी समय पर सिंचाई करने की जरूरत होती है. अगर सिंचाई करने में एक हफ्ते की भी देरी होती है, तो पैदावार पर असर पड़ सकता है. इससे प्याज के कंद का साइज भी छोटा हो सकता है. खरीफ प्याज को समय पर सही तरीके से पोषण और सिंचाई करना चाहिए. इससे प्याज की पैदावार में बढ़ोतरी होती है.
कंद बड़ा करने के लिए करें ये काम
अगर किसान चाहें तो प्याज की गांठ बनने के समय खेत में 20 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ की दर से दे सकते हैं. इसके साथ ही किसान 10 किलो पोटाश और 5 किलो सल्फर का छिड़काव करें. इससे प्याज के कंद बड़े और मजबूत बनेंगे. इसके अलावा, बोरॉन और जिंक सल्फेट का भी छिड़काव करना अच्छा रहेगा. इससे प्याज जल्दी पकता है और उसका आकार अच्छा होता है.
सर्दी में ज्यादा न करें सिंचाई
अगर सर्दी के मौसम में किसान थोड़ी समझदारी और सही तकनीक अपनाएं, तो प्याज की खेती से अच्छी उपज मिल सकती है. एक्सपर्ट के अनुसार, मार्च के महीने में तापमान बढ़ने से खेत की नमी जल्दी सूख जाती है. ऐसे में प्याज की फसल के लिए समय पर और सही मात्रा में सिंचाई बहुत जरूरी होती है. इस मौसम में हर 7 से 10 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें, ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे. लेकिन ध्यान रखें कि ज्यादा पानी न दें, वरना प्याज की जड़ें सड़ सकती हैं. साथ ही खेत में खरपतवार (जंगली घास) न पनपने दें, क्योंकि ये प्याज के विकास में बाधा डालते हैं और पोषक तत्वों की खपत भी बढ़ा देते हैं.