अब प्याज की फसल होगी मोटी-तगड़ी, जानिए कौन-सी खाद करें इस्तेमाल

अक्सर किसान शिकायत करते हैं कि मेहनत करने के बावजूद पैदावार उम्मीद से कम होती है. असल वजह सही खाद और समय पर सिंचाई का न होना है. अगर किसान इन बातों पर ध्यान दें तो प्याज की गांठें बड़ी होंगी और उपज भी ताबड़तोड़ बढ़ेगी.

नई दिल्ली | Published: 5 Sep, 2025 | 09:46 AM

भारत में प्याज हर रसोई का अहम हिस्सा है. चाहे सब्जी बनानी हो, सलाद सजाना हो या फिर मसालों में स्वाद बढ़ाना हो, प्याज की जरूरत हर समय रहती है. यही कारण है कि प्याज की मांग सालभर बनी रहती है. किसानों के लिए यह फसल न केवल आसान है बल्कि सही तरीके से की जाए तो बेहद मुनाफेदार भी है. अक्सर किसान शिकायत करते हैं कि मेहनत करने के बावजूद पैदावार उम्मीद से कम होती है. असल वजह सही खाद और समय पर सिंचाई का न होना है. अगर किसान इन बातों पर ध्यान दें तो प्याज की गांठें बड़ी होंगी और उपज भी ताबड़तोड़ बढ़ेगी.

खेत की तैयारी और खाद की शुरुआत

प्याज की खेती शुरू करने से पहले खेत की अच्छी तरह से तैयारी करना बेहद जरूरी है. जब खेत की मिट्टी नरम और भुरभुरी होगी तभी प्याज की जड़ों को फैलने का सही मौका मिलेगा. इसके लिए खेत की गहरी जुताई करके उसमें कार्बनिक खाद यानी गोबर की सड़ी-गली खाद डालनी चाहिए. एक हेक्टेयर खेत में करीब 20 से 25 टन गोबर की खाद मिलाने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है. यह मिट्टी को नमी भी बनाए रखती है और प्याज की शुरुआती बढ़वार में मदद करती है.

खाद डालने के बाद खेत को 15 से 20 दिन तक खाली छोड़ना चाहिए ताकि मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट और खरपतवार खत्म हो जाएं. इसके बाद खेत प्याज की बुवाई के लिए पूरी तरह तैयार हो जाता है.

नाइट्रोजन और फॉस्फोरस का महत्व

प्याज की अच्छी पैदावार के लिए संतुलित खाद देना सबसे अहम कदम है. अगर किसान केवल गोबर की खाद पर निर्भर रहें तो उपज कम हो सकती है. प्याज को नाइट्रोजन और फॉस्फोरस दोनों ही बड़ी मात्रा में चाहिए. इसके लिए अमोनियम सल्फेट और सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) का इस्तेमाल सबसे अच्छा रहता है.

अमोनियम सल्फेट प्याज की पत्तियों और गांठों को मजबूत बनाता है, जबकि SSP प्याज में स्वाद और क्वालिटी सुधारता है. सल्फर की मौजूदगी से प्याज ज्यादा चमकदार और लंबे समय तक टिकने वाला बनता है. किसान अगर इन खादों का सही मात्रा में इस्तेमाल करें तो उन्हें पहले से कहीं अधिक पैदावार मिल सकती है.

प्याज की खेती में सिंचाई का तरीका

खाद डालने के साथ-साथ सिंचाई पर भी ध्यान देना उतना ही जरूरी है. प्याज की जड़ों को नमी बहुत पसंद होती है, लेकिन ज्यादा पानी फसल को नुकसान भी पहुंचा सकता है. प्याज की पूरी फसल में लगभग 10 से 12 बार सिंचाई करनी होती है.

अगर खेती रबी सीजन में की गई है तो पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करनी चाहिए. इसके बाद हर 10 से 15 दिन में पानी देना आवश्यक है. गर्मी बढ़ने पर सिंचाई का अंतर और कम किया जा सकता है. खेत में जलभराव बिल्कुल नहीं होना चाहिए, वरना प्याज की गांठें सड़ सकती हैं. इसलिए खेत में जलनिकासी का प्रबंध हमेशा अच्छा होना चाहिए.

पैदावार और आमदनी पर असर

जब किसान सही समय पर खाद और सिंचाई करते हैं तो प्याज की गांठें बड़ी और भारी निकलती हैं. इससे न केवल कुल उत्पादन बढ़ता है बल्कि प्याज की गुणवत्ता भी बेहतर होती है. अच्छी क्वालिटी की प्याज हमेशा मंडी में ऊंचे दाम पर बिकती है.

एक एकड़ खेत से जहां साधारण तरीके से 100 से 120 क्विंटल प्याज निकलती है, वहीं वैज्ञानिक और संतुलित तरीके से खेती करने पर यही उत्पादन 150 से 180 क्विंटल तक पहुंच सकता है. इसका सीधा असर किसानों की आमदनी पर पड़ता है.