Goat Farming : अगर आप किसान हैं और खेती के साथ कोई अतिरिक्त आय का जरिया ढूंढ रहे हैं, तो झारखंड सरकार आपके लिए एक सुनहरा मौका लेकर आई है. मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के तहत अब राज्य के किसान बकरी पालन शुरू कर सकते हैं- वो भी 90 फीसदी तक की सब्सिडी पर. यानी कम खर्च में बड़ा मुनाफा.
बकरी पालन से बढ़ेगी किसानों की आमदनी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, खेती के साथ बकरी पालन हमेशा से किसानों के लिए फायदेमंद व्यवसाय माना गया है. यह एक ऐसा काम है जो कम लागत में शुरू किया जा सकता है और जल्दी मुनाफा देता है. झारखंड सरकार चाहती है कि ग्रामीण इलाकों के किसान खेती के साथ पशुपालन को भी अपनाएं ताकि उनकी आय के स्रोत बढ़ें और गांव की अर्थव्यवस्था मजबूत हो.
योजना में मिलेगी 90 फीसदी तक सब्सिडी
मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आई है. इस योजना के तहत किसानों को बकरी पालन के लिए 10 बकरियां और 1 बकरा दिया जाएगा. सरकार किसानों को आर्थिक सहायता के रूप में सब्सिडी भी दे रही है. सामान्य वर्ग के किसानों को 75 फीसदी सब्सिडी जबकि अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के किसानों को 90 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी. इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि किसानों को बहुत कम खर्च उठाना पड़ेगा, बाकी खर्च सरकार उठाएगी, जिससे ग्रामीण किसानों की आय में तेजी से बढ़ोतरी होगी.
आवेदन प्रक्रिया और जरूरी दस्तावेज
जो किसान मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना का लाभ लेना चाहते हैं, वे अपने नजदीकी पंचायत या प्रखंड कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं. आवेदन प्रक्रिया बेहद आसान है. किसानों को कुछ जरूरी दस्तावेज जैसे- जाति प्रमाण पत्र, आवासीय प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड और बैंक खाता विवरण जमा करना होगा. इन दस्तावेजों की जांच के बाद किसानों को योजना में शामिल किया जाएगा. सरकार ने किसानों से अपील की है कि वे जल्द आवेदन करें ताकि समय पर सब्सिडी और बकरी पालन किट का लाभ मिल सके. देर करने पर अगली किश्त में शामिल होना पड़ सकता है.
प्रशिक्षण लेकर मिलेगी प्राथमिकता
योजना का लाभ उन्हीं किसानों को पहले मिलेगा जिन्होंने सरकारी प्रशिक्षण शिविरों में हिस्सा लिया है. इन प्रशिक्षणों में बकरी पालन की तकनीक, आहार प्रबंधन, स्वास्थ्य जांच और बाजार में बिक्री की जानकारी दी जाती है. सरकार का मानना है कि सही जानकारी के साथ किया गया पशुपालन ज्यादा सफल होता है. इसलिए, जिन किसानों ने प्रशिक्षण लिया है, उन्हें योजना में प्राथमिकता दी जाती है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा
झारखंड के कई जिलों में यह योजना तेजी से लोकप्रिय हो रही है. गांवों में महिलाएं और युवा इस योजना से जुड़कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं. बकरी पालन से न केवल दूध और मांस उत्पादन बढ़ रहा है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं. यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ाने का एक ठोस कदम है.