PM Modi Birthday: गांव-गांव में बढ़ा पशुधन का मान, मोदी सरकार ने बदली पशुपालन की पहचान

मोदी सरकार ने पशुपालन क्षेत्र में कई योजनाओं के जरिए ग्रामीण पशुपालकों को सशक्त बनाया है. स्वास्थ्य, प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता और आधुनिक तकनीक से पशुधन उत्पादन बढ़ा है. इससे किसानों की आय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है.

Kisan India
नोएडा | Published: 17 Sep, 2025 | 12:17 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन (PM Modi Birthday) के अवसर पर देश के ग्रामीण इलाकों में पशुपालन के क्षेत्र में हुए अभूतपूर्व बदलाव को देखना गर्व की बात है. मोदी सरकार ने न केवल पशुधन की संख्या बढ़ाई है, बल्कि इसे एक आय का स्थायी स्रोत और रोजगार का माध्यम भी बनाया है. सरकार की कई योजनाओं ने किसानों को उन्नत तकनीक, प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता, और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की हैं. इन पहलों से दूध, मांस, अंडा जैसे पशुधन उत्पादों का उत्पादन बढ़ा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है. पशुपालन अब केवल एक पारंपरिक व्यवसाय नहीं रह गया, बल्कि यह किसानों के जीवन में आर्थिक समृद्धि का मुख्य आधार बन गया है.

राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP)

सितंबर 2019 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किया गया, राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम देश में पशुधन को खुरपका-मुंहपका (FMD) और ब्रुसेलोसिस जैसी गंभीर बीमारियों से मुक्त कराने के लिए बनाया गया. यह योजना पांच वर्षों (2019-20 से 2023-24) के लिए 13,343 करोड़ रुपये के बजट के साथ लागू है. इसके अंतर्गत गोपशु, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर का 100 फीसदी टीकाकरण सुनिश्चित किया जाता है. 4 से 8 महीने की मादा बछियों को ब्रुसेलोसिस के खिलाफ भी टीका दिया जाता है.

पशुपालकों को लाभ:-

इस योजना से पशुओं की बीमारी की संभावना कम हुई, जिससे इलाज पर खर्च घटा और दूध उत्पादन में वृद्धि हुई. पशुधन की गुणवत्ता बेहतर होने से बाजार में उनकी कीमत भी बढ़ी. यह योजना केंद्र द्वारा 100 फीसदी फंडिंग के साथ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है.

राष्ट्रीय गो-कुल मिशन (RGM)

राष्ट्र्य गो-कुल मिशन दिसंबर 2014 में शुरू हुई यह योजना देसी गोवंशों के संरक्षण और उन्नयन के लिए कार्यरत है. इसका मुख्य उद्देश्य देसी नस्लों की उत्पादकता सुधारकर ग्रामीण किसानों की आय बढ़ाना और देश में दूध की मांग पूरी करना है. 2021-26 तक इसे 2400 करोड़ रुपये के बजट से राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना के तहत संचालित किया जा रहा है.

प्रमुख गतिविधियां-

  • उन्नत जैव-प्रजनन तकनीकों का उपयोग
  • कृत्रिम गर्भाधान का विस्तार
  • उच्च गुणवत्ता वाले सांडों का संरक्षण
  • देसी नस्लों का वैज्ञानिक संरक्षण

पशुपालकों को लाभ-

छोटे किसानों के साथ-साथ 70 फीसदी महिलाएं भी इस योजना से सीधे लाभान्वित हुई हैं. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में दूध उत्पादन में सुधार हुआ और आय के स्रोत बढ़े.

राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock Mission)

राष्ट्रीय पशुधन मिशन 2014-15 में शुरू हुई यह योजना छोटे पशुओं जैसे बकरी, भेड़, सूअर और कुक्कुट पालन को प्रोत्साहित करती है. इसके अलावा चारा उत्पादन को बढ़ावा देना इसका एक और उद्देश्य है ताकि पशुधन की उत्पादकता और रोजगार दोनों बढ़ सकें.

लाभ:-

व्यक्तिगत उद्यमी, एफपीओ, स्वयं सहायता समूह और जॉइंट लायबिलिटी ग्रुप्स को आर्थिक सहायता मिलती है. नस्ल सुधार के लिए भी राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. इससे ग्रामीण स्वरोजगार बढ़ा और पशुपालकों की आय में सुधार हुआ.

पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना

पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना 2014-15 में शुरू हुई इस योजना का लक्ष्य पशुओं और कुक्कुटों को रोगों से बचाना है. यह टीकाकरण, रोग निगरानी, और पशु चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करने पर केंद्रित है.

पशुपालकों को लाभ:-

मोबाइल वेटरनरी यूनिट्स (MVUs) के जरिए पशु चिकित्सा सेवाएं घर पहुंचाई जाती हैं. बीमारी की स्थिति में मुआवजा, दवाइयां, और चारे के नुकसान की भरपाई की जाती है. इस योजना से पशुओं की उत्पादकता और पशुपालकों की आय में सुधार हुआ.

पशुपालन आधारभूत संरचना विकास निधि (AHIDF)

पशुपालन आधारभूत संरचना विकास निधि 2020 में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 15,000 करोड़ रुपये की निधि के साथ शुरू की गई यह योजना दुग्ध, मांस प्रसंस्करण और पशु आहार संयंत्रों के विकास को बढ़ावा देती है.

लाभ:-

छोटे पशुपालकों को संगठित बाजार तक पहुंच मिली है, जिससे उन्हें बेहतर मूल्य मिला. गुणवत्ता युक्त पशु आहार उपलब्ध होने से पशुओं की सेहत और उत्पादन में सुधार हुआ. रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हुए हैं.

राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD)

राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम 2021-22 में शुरू हुई यह योजना 2025-26 तक चलेगी. इसका लक्ष्य दूध की गुणवत्ता बढ़ाना और संगठित दूध खरीद को बढ़ावा देना है.

लाभ:-

पशुपालकों को दूध की बेहतर कीमत और गुणवत्ता जांच उपकरण मिलते हैं. प्राथमिक स्तर पर शीतलन सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. इससे छोटे किसानों और महिला स्वयं सहायता समूहों को विशेष लाभ मिला है.

पशु आहार योजना

पशु आहार योजना 2014-15 में शुरू हुई इस योजना का उद्देश्य गर्भवती गायों और भैंसों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना है, जिससे बछड़े और माता दोनों स्वस्थ रहें.

पशुपालकों को लाभ:-

50 फीसदी अनुदान पर पशु आहार मिलता है, जिससे बछड़े स्वस्थ होते हैं और दूध उत्पादन बढ़ता है. यह योजना खासकर ग्रामीण महिलाओं और सीमांत किसानों के लिए लाभकारी रही है.

राज्य स्तर पर प्रमुख योजनाएं

उत्तर प्रदेश: उच्च उत्पादन क्षमता वाले गोवंश संवर्धन योजना

नंदिनी कृषक समृद्धि योजना 18 मंडल मुख्यालय जनपदों में लागू इस योजना में साहीवाल, गिर, थारपारकर, गंगातीरी जैसी नस्लों का संवर्धन होता है. 25 गायों की इकाई पर 62.50 लाख रुपये की लागत में 50 फीसदी तक का अनुदान मिलता है. लाभार्थियों को उन्नत नस्ल की गाय पालने का मौका मिला है, जिससे दूध उत्पादन और आय में सुधार हुआ है.

उत्तराखंड: मुख्यमंत्री राज्य पशुधन मिशन योजना

राज्य में पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है. राष्ट्रीय पशुधन मिशन, गोकुल मिशन, पशु स्वास्थ्य योजनाएं चलाकर राज्य सरकार ने दुग्ध उत्पादन, नस्ल सुधार और पशु स्वास्थ्य में सुधार किया है. इससे 74 फीसदी ग्रामीण आबादी को आजीविका मिली है.

झारखंड: मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना 2024

मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना 660 करोड़ रुपये के बजट के साथ शुरू हुई इस योजना में SC, ST, BPL, दिव्यांग आदि को प्राथमिकता दी गई है. 75 फीसदी से 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिलती है. इससे छोटे और सीमांत किसानों को उन्नत नस्ल के पशु खरीदने में मदद मिली है, दूध, मांस, अंडा उत्पादन बढ़ा है और रोजगार के अवसर बढ़े हैं.

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