प्याज के रेट में 40 फीसदी तक गिरावट, किसानों में नाराजगी.. क्या निकाय चुनावों में दिख सकता है असर?

महाराष्ट्र में प्याज की कीमतों में 30-40 फीसदी गिरावट से किसान नाराज हैं. त्योहार से पहले केंद्र सरकार द्वारा बाजार में प्याज छोड़ने को किसान राजनीतिक चाल मान रहे हैं. नासिक के किसान नेताओं ने आगामी स्थानीय चुनावों में किसान हितैषी उम्मीदवारों को समर्थन देने की अपील की है.

Kisan India
नोएडा | Published: 18 Oct, 2025 | 06:13 PM

Mandi Rate: प्याज एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति का गर्म मुद्दा बन गया है. किसानों को इस बार प्याज के दाम में 30-40 फीसदी तक गिरावट का सामना करना पड़ रहा है, जिससे वे नाराज हैं और आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में इसका असर दिख सकता है. महाराष्ट्र प्याज उत्पादन में अग्रणी राज्य है, जहां लाखों किसान इसे नकदी फसल के रूप में उगाते हैं. लेकिन इस साल नासिक, पुणे, अहिल्यानगर, सोलापुर, धुले और मराठवाड़ा के कई हिस्सों में किसानों के लिए दिवाली फीकी हो गई है. किसानों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने त्योहार से पहले बाजार में बड़ी मात्रा में प्याज उतार दिया, जिससे दाम गिर गए. उनका कहना है कि सरकार ने यह कदम वोटरों को लुभाने के लिए उठाया है, लेकिन इसकी मार किसानों पर पड़ी है.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक,  किसानों का मानना है कि केंद्र सरकार का यह फैसला पिछले साल मिली सियासी चोट का नतीजा है, लेकिन इस बार सरकार कुछ ज्यादा ही आगे निकल गई. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक  लगाई थी, जिससे कीमतें काफी गिर गईं. इसका फायदा उपभोक्ताओं को तो मिला, लेकिन महाराष्ट्र के किसानों को भारी नुकसान हुआ. नाराज किसानों ने चुनाव में इसका जवाब दिया और बीजेपी की महायुति गठबंधन को इन इलाकों की सभी लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा.

भरत दिघोले ने लगाया गंभीर आरोप

अब स्थिति उलट गई है. प्याज के दाम 700 से 1,100 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गए हैं, जबकि दो महीने पहले यही कीमत 1,000 से 1,600 रुपये प्रति क्विंटल थी. नासिक स्थित महाराष्ट्र प्याज उत्पादक किसान संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने महानगरों के उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए प्याज के भंडार बाजार में छोड़ दिए हैं. उनके मुताबिक, अब फिर किसानों को केंद्र की किसान विरोधी नीति  का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

किसानों को हो रहा नुकसान

भरत दिघोले ने कहा कि नेफेड (NAFED) के जरिए खरीदी गई प्याज का भंडार सिर्फ जरूरत के वक्त बाजार में उतारने के लिए होता है, ताकि कीमतों को संतुलित रखा जा सके. इसे राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करना गलत है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने जीएसटी घटाने के बाद अब उपभोक्ताओं को सस्ते दामों पर सब कुछ देने की नीति अपनाई है. शहरों में लोग 30 रुपये किलो प्याज खरीदते हैं, लेकिन किसान को इसका सिर्फ 10 रुपये किलो ही मिलता है.

किसान नेताओं को सबक सिखा सकते हैं

नासिक के ही प्याज किसान जयदीप भदाने ने कहा कि आने वाले चुनावों में किसान नेताओं को सबक सिखा सकते हैं. जल्द ही जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव होंगे. भदाने ने कहा कि प्याज किसानों  को एकजुट होकर सिर्फ उन्हीं उम्मीदवारों का समर्थन करना चाहिए जो किसानों की बात करते हैं.

 

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