जैविक फसलों के लिए अलग MSP की सिफारिश, संसद समिति ने दिए ये अहम सुझाव

समिति ने यह भी कहा है कि खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी डिजिटल तकनीक को बढ़ावा देना चाहिए. इससे किसानों को मौसम, कीट, बीमारी और फसल की स्थिति की सही जानकारी समय रहते मिल सकेगी.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 24 Jul, 2025 | 11:08 AM

देश में जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम पहल की गई है. संसद की एस्टिमेट्स कमेटी ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि जैविक फसलों के लिए अलग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय किया जाए, ताकि किसान जैविक खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकें और ज्यादा लोग इसे अपनाएं. समिति ने यह रिपोर्ट कृषि मंत्रालय के कार्यों की समीक्षा के बाद पेश की, जिसमें जैविक खेती से जुड़ी कई चुनौतियों और संभावनाओं को सामने लाया गया है.

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा है कि जैविक खेती करने वाले किसान मेहनत तो बहुत करते हैं, लेकिन उन्हें बाजार में सही दाम नहीं मिल पाता. आज भी जैविक अनाज या सब्जियों के लिए 20-30 फीसदी ज्यादा दाम मिलते हैं, लेकिन ये फायदेमंद दाम किसानों तक सही तरीके से नहीं पहुंचते. इसलिए सरकार को MSP तय करके इसे पक्की व्यवस्था बनानी चाहिए, ताकि किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मूल्य मिले.

जैविक खेती की चुनौतियां भी गिनाईं

समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जैविक खेती में कई दिक्कतें हैं. जैविक खाद (बायोफर्टिलाइजर) और कीटनाशक आसानी से नहीं मिलते, खेतों में काम ज्यादा होता है, मजदूरी महंगी है और बाजार तक माल पहुंचाने में दिक्कत होती है. खासतौर पर पहाड़ी और दूरदराज के इलाकों में किसान इन समस्याओं से जूझ रहे हैं.

सरकार से इन बातों की सिफारिश की गई है

  • जैविक खाद, बीज और दवाओं पर सब्सिडी बढ़ाई जाए
  • किसानों को प्रमाणपत्र (सर्टिफिकेशन) दिलाने में मदद हो
  • जैविक उत्पादों के भंडारण और बिक्री के लिए बाजार बनाए जाएं
  • शहरों में ऑर्गेनिक स्टोर खोले जाएं, ताकि सीधा फायदा किसानों को मिले
  • उत्तर-पूर्व राज्यों में चलाई जा रही ‘मिशन ऑर्गेनिक योजना’ को और मजबूत किया जाए

कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) को मिले अहम भूमिका

रिपोर्ट में कृषि विज्ञान केंद्रों की भी बात की गई है. समिति ने कहा है कि पूरे देश के KVKs की परफॉर्मेंस के आधार पर दोबारा रैंकिंग शुरू की जानी चाहिए. इससे यह पता चलेगा कि कौन-से केंद्र अच्छा काम कर रहे हैं और कौन नहीं. आखिरी बार यह रैंकिंग 2018 में की गई थी.

खेती में AI का इस्तेमाल बढ़े

समिति ने यह भी कहा है कि खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी डिजिटल तकनीक को बढ़ावा देना चाहिए. इससे किसानों को मौसम, कीट, बीमारी और फसल की स्थिति की सही जानकारी समय रहते मिल सकेगी. इससे नुकसान भी कम होगा और किसान पहले से तैयार रहेंगे.

सरकार से यह भी कहा गया है कि वह टेक्नोलॉजी कंपनियों, कृषि विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के साथ मिलकर ऐसा सिस्टम बनाए जिससे AI जैसी तकनीक छोटे और दूरदराज के किसानों तक भी पहुंच सके.

एक मजबूत कदम की उम्मीद

इस रिपोर्ट का मकसद साफ है जैविक खेती को एक मजबूत विकल्प बनाना, जिससे किसान कमाई भी कर सकें और खेती भी सुरक्षित रहे. अगर सरकार इन सुझावों पर काम करती है, तो आने वाले समय में जैविक खेती किसानों के लिए एक नया उजाला बन सकती है.

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Published: 24 Jul, 2025 | 11:04 AM

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