खेत में नहीं अब हवा में उगेगी फसल, इस राज्य में हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से शुरू हुई खेती

त्रिपुरा सरकार ने नागीछेरा में हाइड्रोपोनिक्स तकनीक की शुरुआत की है, जिसमें बिना मिट्टी के खेती होती है. कृषि मंत्री रतन लाल नाथ ने कहा कि यह प्रयोग सफल रहा तो इसे राज्यभर में लागू किया जाएगा.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 14 Jun, 2025 | 11:21 AM

13 जून को त्रिपुरा सरकार ने बिना मिट्टी के खेती करने की हाइड्रोपोनिक्स पद्धति की शुरुआत प्रयोग के तौर पर की है. राज्य के कृषि मंत्री रतन लाल नाथ ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. मंत्री ने कहा कि इस प्रयोग की शुरुआत पश्चिम त्रिपुरा जिले के नागीछेरा स्थित बागवानी अनुसंधान केंद्र में की गई है. उन्होंने कहा कि अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो हम इस तकनीक को राज्य के अन्य हिस्सों में भी लागू करेंगे.

बागवानी अनुसंधान केंद्र के एक अधिकारी ने कहा कि हाइड्रोपोनिक्स एक आधुनिक शहरी खेती की तकनीक है, जिसमें मिट्टी की जगह पोषक तत्वों से भरपूर पानी का इस्तेमाल करके पौधे उगाए जाते हैं. इस तकनीक से नियंत्रित माहौल में खेती की जा सकती है, संसाधनों की बचत होती है और फसलें बीमारियों से सुरक्षित रहती हैं. एक अधिकारी के अनुसार, हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का उपयोग छोटे शौकिया गार्डन से लेकर बड़े स्तर पर व्यावसायिक खेती तक किया जा सकता है. इससे 8 से 10 तरह की हरी पत्तेदार सब्ज़ियों की खेती संभव है.

873 बैठकों और सभाओं का आयोजन

कृषि मंत्री रतन लाल नाथ ने कहा कि ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत 15 दिन तक चलने वाले राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के दौरान, त्रिपुरा के 8 जिलों में 29 मई से 12 जून तक कुल 873 बैठकों और सभाओं का आयोजन किया गया. खराब मौसम और तेज बारिश के बावजूद इन बैठकों में 1.95 लाख से ज़्यादा किसानों ने हिस्सा लिया.

वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम किया

मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर कृषि का सपना और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की पूर्व खरीफ सीजन अभियान योजना के तहत, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और हर जिले के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर यह 15 दिवसीय बड़ा अभियान गुरुवार को पूरा किया गया.

किसानों को दी गई जानकारी

इस अभियान के जरिए किसानों को उनके इलाके की जरूरतों, मौसम, मिट्टी की उपज क्षमता और अन्य जरूरी बातों को ध्यान में रखकर आधुनिक कृषि तकनीकों और शोध की जानकारी दी जा रही है. इसके साथ ही, मंत्री ने कहा कि इस अभियान के दौरान किसानों की व्यावहारिक समस्याओं और जरूरतों को समझने और उनके समाधान निकालने की भी कोशिश की गई, ताकि भविष्य में होने वाले कृषि अनुसंधान की दिशा और नीतियां किसानों की जमीनी जरूरतों के अनुसार तय की जा सकें.

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Published: 14 Jun, 2025 | 11:15 AM

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