झारखंड में जैविक खेती को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में राज्य सरकार ने कमर कस ली है. कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा है कि झारखंड ऑर्गेनिक फार्मिंग अथॉरिटी (OFAJ) को निर्देश दिया कि वे राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक ठोस और फोकस्ड वर्क प्लान तैयार करें. उन्होंने कहा कि जैसे सिक्किम ने जैविक खेती में अपनी एक खास पहचान बनाई है, उसी तरह झारखंड के पास भी इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, जो किसानों की आय बढ़ाने में मदद कर सकती हैं.
मंत्री ने कहा कि यह आयोजन झारखंड की जैविक खेती को नई दिशा देने की शुरुआत है. इससे राज्य के जैविक उत्पादों, किसानों और खरीदारों के बीच सीधा संपर्क बनेगा. उन्होंने OFAJ और कृषि विभाग को निर्देश दिया कि वे इस दिशा में SOPs (मानक संचालन प्रक्रिया) और वर्क प्लान जल्द तैयार करें, ताकि झारखंड भी जैविक खेती में अग्रणी राज्यों की सूची में शामिल हो सके.
जैविक उत्पाद सिर्फ घरों तक सीमित नहीं रहने चाहिए
राज्य के कृषि विभाग के सचिव अबूबकर सिद्दीकी ने शनिवार को कहा कि किसानों के जैविक उत्पाद सिर्फ घरों तक सीमित नहीं रहने चाहिए, बल्कि उन्हें बाजार तक पहुंचाना जरूरी है, ताकि किसानों को अधिक मुनाफा मिल सके. उन्होंने कहा कि झारखंड जैसे राज्य में जहां भूमि से जुड़ी कई चुनौतियां हैं, वहां छोटे पैमाने पर जैविक उद्योग किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में काफी सहायक हो सकते हैं.
मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाए रखना जरूरी
सचिव ने यह भी कहा कि जैविक खेती पर्यावरण और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाए रखने के लिए भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि जैविक उत्पाद बाजार में उच्च दाम पर बिकते हैं, जिससे किसानों को अन्य फसलों की तुलना में ज्यादा लाभ होता है. उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि अब समय है कि सरकार और विभाग मिलकर जैविक उत्पादों की बेहतर पैकेजिंग और उन्हें सही बाजारों तक पहुंचाने की व्यवस्था करें. यह बयान उन्होंने झारखंड ऑर्गेनिक फार्मिंग अथॉरिटी (OFAJ) द्वारा आयोजित एक खरीदार-विक्रेता बैठक में दिया, जिसमें जैविक खेती को लेकर राज्य सरकार की नई पहल का खाका तैयार किया गया.