De-Oiled Rice Bran: केंद्र सरकार ने शुक्रवार यानी 3 अक्टूबर को मवेशियों के चारे में इस्तेमाल होने वाले डी-ऑयल्ड राइस ब्रान (चोकर) के निर्यात पर लगी रोक हटा दी है. सरकार ने खाद्य तेल उद्योग संगठन SEA की मांग पर यह फैसला लिया है. दरअसल, खाद्य तेल उद्योग संगठन SEA ने सरकार से यह रोक हटाने की मांग की थी, ताकि घरेलू प्रोसेसर को फायदा मिल सके और किसानों की आमदनी बढ़े. वहीं, केंद्र सरकार के इस फैसले से किसानों में खुशी का माहौल है. किसानों का कहना है कि अब वे विदेशों में चोकर बेचकर अच्छी कमाई कर पाएंगे.
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने बताया है कि डी-ऑयल्ड राइस ब्रान के निर्यात पर लगी रोक हटा दी गई है और अब इसे खुलकर निर्यात किया जा सकेगा. यह बदलाव तुरंत लागू हो गया है. यह रोक पिछले साल लगाई गई थी. एक अन्य नोटिफिकेशन में DGFT ने कहा है कि अब भूटान को डेयरी प्रोडक्ट्स, प्याज, आलू, कुछ सब्जियां, चावल और गेहूं जैसी कृषि वस्तुओं का निर्यात, सभी रोक और पाबंदियों से छूट के साथ किया जा सकता है. यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू होगा और अगले निर्देश तक जारी रहेगा.
भूटान को कुछ सामानों के निर्यात पर छूट
हालांकि, सरकार ने भूटान को कुछ सामानों के निर्यात पर भी छूट दी है, जिसमें चाय, सोयाबीन तेल, मूंगफली तेल, पाम ऑयल, जानवरों और पौधों से बने फैट-तेल, गन्ना या चुकंदर से बनी चीनी और नमक शामिल हैं. एक और नोटिफिकेशन में DGFT ने कहा है कि धारवाड़ यूनिवर्सिटी से 100 टन गेहूं बीज (DWR-162) का निर्यात इंडोनेशिया को करने की इजाजत दी गई है. यह एक बार की विशेष अनुमति है, जो नेशनल को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (NCEL) के जरिए मैंगलोर बंदरगाह से किया जाएगा. हालांकि, यह निर्यात तभी होगा जब धारवाड़ यूनिवर्सिटी या कर्नाटक सरकार का कृषि विभाग इसकी पुष्टि (सर्टिफिकेशन) करेगा. फिलहाल, गेहूं जैसे कई कृषि उत्पादों पर निर्यात से जुड़ी पाबंदियां लगी हुई हैं.
डी-ऑयल्ड राइस ब्रान क्या है
डी-ऑयल्ड राइस ब्रान चावल की भूसी से तेल निकालने के बाद बचा हुआ ठोस हिस्सा होता है. इसमें प्रोटीन, फाइबर और खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं. इसे मवेशियों, मुर्गियों और मछलियों के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि यह प्रोटीन का सस्ता और अच्छा स्रोत है. इसकी विदेशों में बहुत मांग है. मवेशियों को इसे चारे के रूप में खिलाने से दूध उत्पादन बढ़ जाता है. साथ ही वे हेल्दी और तंदरुस्त भी रहते हैं.