Agriculture News: 15 अक्टूबर के बाद से यूपी, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में गेहूं की बुवाई शुरू हो गई है. लेकिन कई ऐसे भी किसान हैं, जो गेहूं की किस्मों को लेकर असमंजस में हैं. ऐसे में वे गेहूं की जगह दलहन और तिलहन फसलों की बुवाई करने की प्लानिंग बना रहे हैं. लेकिन अब ऐसे किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम गेहूं की ऐसी पांच उन्नत किस्मों के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो कम पानी में तैयार हो जाएंगी. खास बात यह है कि इन किस्मों पर कीट और बीमारियों का असर बहुत कम होता है, जिससे किसान आसानी से बढ़िया पैदावार ले सकते हैं.
ये हैं गेहूं की 5 उन्नत किस्में
श्रीराम 5SR05: श्रीराम सुपर समूह की एक हाइब्रिड किस्म है, जो अपनी उच्च गुणवत्ता और बढ़िया उत्पादन के लिए जानी जाती है. किसानों का कहना है कि यह गर्म हवाओं को भी कुछ हद तक झेल लेती है. इसका फुटाव और ग्रोथ मजबूत होती है. इसी कारण यह तेजी से किसानों की पसंद बन रही है.
WH 1270: यह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित एक उन्नत गेहूं किस्म है, जो किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है. इसकी पैदावार काफी अच्छी मानी जाती है और कई जगहों पर इसका प्रदर्शन DBW 303 के बराबर देखा गया है. यह किस्म उपजाऊ जमीन और समय पर बुवाई के लिए उपयुक्त है. सही देखभाल करने पर किसान इससे 80 से 85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन पा सकते हैं.
DBW 327: DBW 327 गेहूं की एक नई और ज्यादा उपज देने वाली किस्म है. यह उपजाऊ जमीन और अच्छी सिंचाई वाले इलाकों के लिए सबसे बेहतर है. इसे समय पर बोना चाहिए. इसकी बालियां लंबी होती हैं और पैदावार 80 से 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिल सकती है. यह फसल करीब 150 दिन में तैयार हो जाती है.
DBW 303: यह मध्यम अवधि वाली किस्म है, जो 125 से 130 दिन में पक जाती है. यह भूरे और पीले रतुआ रोग के प्रति काफी हद तक प्रतिरोधी है. इस फसल का झंडा पत्ता पकने तक हरा रहता है, जिससे दाने अच्छे बनते हैं. पिछले 2 से 3 सालों से यह किस्म किसानों की पहली पसंद बनी हुई है.
श्रीराम 303: श्रीराम सुपर ब्रांड की एक पुरानी लेकिन भरोसेमंद किस्म है. यह 125- 130 दिन में तैयार होती है और देरी से बुवाई करने वाले किसानों के लिए भी उपयुक्त है. यह किस्म पीले और भूरे रतुआ रोग के प्रति सहनशील मानी जाती है.
कितनी होगी पैदावार
खास बात यह है कि इन सभी किस्मों की उपज काफी अच्छी होती है. इनमें DBW 327 और DBW 303 को केंद्रीय कृषि संस्थानों ने विकसित किया है. किस्म का चयन करते समय सिंचाई की सुविधा, बुवाई का समय और स्थानीय मौसम में रोग प्रतिरोधक क्षमता को ध्यान में रखना चाहिए. अच्छी मिट्टी में ये किस्में 20 से 38 क्विंटल प्रति एकड़ तक की पैदावार दे सकती हैं.