पूसा-44 की जगह किसान करें धान की इन किस्मों की बुवाई, कम समय में तैयार हो जाएगी फसल

पंजाब सरकार ने पूसा-44 जैसी लंबी अवधि की धान की किस्मों पर रोक लगाई है, जो पानी की अधिक खपत और पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ाती हैं. कृषि अधिकारियों ने किसानों को PR 126, PR 131 और PR 132 जैसी कम अवधि वाली, कम पानी वाली और रोग-प्रतिरोधक किस्में अपनाने की सलाह दी है

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 9 Jun, 2025 | 06:17 PM

पंजाब सरकार ने प्रदूषण कम करने और भूमिगत जल को बचाने के लिए लंबी अवधि की धान की किस्म पूसा-44 और कुछ हाइब्रिड बीजों की बिक्री व बुवाई पर रोक लगा दी है. ऐसे में लुधियाना जिले के अधिकांश किसान धान की किस्मों को लेकर असमंजस में हैं. वे फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि पूसा-44 जगह कौन सी बेहतर किस्मों की बुवाई करें. लेकिन किसानों को अब धान की किस्मों को लेकर असमंजस में रहने की जरूरत नहीं है. क्योंकि कृषि अधिकारी ने किसानों से धान की किस्मों को लेकर खास सलाह दी है.

लुधियाना के मुख्य कृषि अधिकारी गुरदीप सिंह ने कहा है कि जिन किसानों ने पूसा-44 या अन्य प्रतिबंधित हाइब्रिड किस्मों की नर्सरी में पौध तैयार कर ली है, तो भी वे उसका रोपण न करें. इसकी बजाय वे PR 126, PR 131 और PR 132 जैसी कम अवधि में पकने वाली किस्मों की वुवाई कर सकते हैं. इन किस्में की खेती में पानी की कम खपत होती है और इनमें रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है.

बाजार में आसानी से मिल जाएंगे ये बीज

गुरदीप सिंह ने कहा कि ये किस्सें बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं. साथ ही सरकार भी इनका पूरा समर्थन कर रही है. कृषि अधिकारी ने यह भी चेतावनी दी कि जो किसान पूसा-44 जैसी प्रतिबंधित किस्मों की बिक्री या प्रचार करेंगे, उन्हें सरकारी खरीद में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने किसानों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि यह कदम पंजाब के प्राकृतिक संसाधनों को बचाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ व सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में बेहद जरूरी है.

पूसा-44 की साथ होने वाली दिक्कतें

उन्होंने कहा कि लंबी अवधि वाली किस्में ज्यादा पानी की मांग करती हैं और मौसम बदलने के कारण फसल की कटाई में देरी होती है. इससे फसल बेचने में दिक्कत आती है और गेहूं की समय पर बुवाई नहीं हो पाती. मजबूरी में किसान पराली जलाते हैं, जिससे हवा बुरी तरह प्रदूषित होती है. उन्होंने कहा कि ऐसी किस्में पानी और हवा दोनों के लिए नुकसानदेह हैं. अगर इनका इस्तेमाल जारी रहा, तो आने वाले समय में स्वच्छ हवा और पर्याप्त पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा.

 

 

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Published: 9 Jun, 2025 | 05:44 PM

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