Today Mandi Rate: देश का सबसे बड़ा जीरा उत्पादक राज्य गुजरात में जीरे की कीमतों में बंपर उछाल आया है. यहां के अमरेली जिले में 24 जून को जीरा का मिनिमम प्राइस 8500 रुपये क्विंटल था, जो 1 जुलाई को बढ़कर 14125 रुपये हो गया. यानी एक हफ्ते के अंदर ही जीरे की कीमत 5,625 रुपये क्विंटल बढ़ गई, जो 66.18 फीसदी पीसदी की बढ़ोतरी को दर्शाता है. जबकि 24 जून को अमरेली में जीरे का मैक्सिमम रेट 17075 रुपये क्विंटल था, जो 1 जुलाई को बढ़कर 18175 रुपये हो गया. यानी मैक्सिमम कीमत में भी 6 फीसदी से अधिक का इजाफा है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मंडी आंकड़ों के मुताबिक, 2 जुलाई को अमरेली में जीरे का मिनिमम प्राइस 14075 रुपये क्विंटल दर्ज किया गया. जबकि, मॉडल प्राइस 16625 रुपये क्विंटल और मैक्सिमम प्राइस 19175 रुपये क्विंटल दर्ज किया गया. वहीं, 2 जुलाई को जाम नगर में जीरे का मिनिमम रेट 17000 रुपये क्विंटल रहा, जबकि मैक्सिमम और मॉडल प्राइस क्रमश: 19500 रुपये और 18250 रुपये क्विंटल दर्ज किया गया.
राजस्थान में जीरे का मैक्सिमम रेट
बात अगर राजस्थान की करें, तो यहां के जोधपुर स्थित अनाज मंडी में 2 जुलाई को जीरे का मिनिमम रेट 17500 रुपये क्विंटल दर्ज किया गया. जबकि, मैक्सिमम रेट 21300 रुपये क्विंटल रहा. यानी गुजरात से भी ज्यादा महंगा जीरा राजस्थान में बिक रहा है. वहीं, जोधपुर की ओसियां मथानिया कृषि उपज मंडी में 2 जुलाई को जीरे का मिनिमम प्राइस 18000 रुपये क्विंटल पहुंच गया. जबकि, मैक्सिमम प्राइस 19000 रुपये क्विंटल रहा. यानी जोधपुर जिले में ही दो अलग- अलग मंडियों में जीरे के रेट में काफी अंतर देखने को मिल रहा है.
महाराष्ट्र में प्याज का मंडी भाव
इसी तरह राजस्थान की बस्सी स्थित मंडियों में 2 जुलाई को प्याज का मिनिमम रेट (Onion minimum rate) 1300 रुपये क्विंटल पहुंच गया, जबकि मैक्सिमम और मॉडल प्राइस क्रमश:1600 रुपये एवं 1450 रुपये क्विंटल दर्ज किया गाय. वहीं, देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के पुणे जिले की खेड़(चाकन) कृषि उपज मंडी में 2 जुलाई को प्याज का अधिकतम प्राइस 1800 रुपये क्विंटल और मिनिमम रेट 800 रुपये क्विंटल दर्ज किया गया. इसी तरह पुणे(पिंपरी) मंडी में प्याज का मिनिमम रेट 1100 रुपये क्विंटल रहा और अधिकतम रेट 1300 रुपये क्विंटल दर्ज किया गया.
किसानों को हो रहा नुकसान
बता दें कि महाराष्ट्र में प्याज किसानों को कीमत कम होने के चलते काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. वे लागत में नहीं निकाल पा रहे हैं. ऐसे में किसानों ने सरकार से आर्थिकक मदद की मांग की है.