ऑटोमेटेड इरिगेशन सिस्टम से पानी और लागत की बचत होगी, फसल की पैदावार भी बढ़ेगी

पारंपरिक सिंचाई में पानी की बर्बादी होती है, जिससे न केवल किसान की लागत बढ़ती है बल्कि भूजल स्तर भी नीचे चला जाता है. इसीलिए विज्ञान और तकनीक की मदद से ऑटोमेटेड इरिगेशन सिस्टम (Automated Irrigation System) का इस्तेमाल करना बेहतर विकल्प बन गया है. इससे खेती में पानी खपत को नियंत्रित किया जाता है और फसल को जरूरी नमी दी जाती है.

Kisan India
नोएडा | Published: 26 Oct, 2025 | 11:30 PM

खेती में पानी की सही उपलब्धता फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर सीधा असर डालती है. अगर खेत बहुत अच्छे से सिंचित है तो फसल उत्पादन बहुत अच्छा होता है. यही कारण किसान सिंचाई के बेहतर साधन जुटाने में लगे रहते हैं. पारंपरिक सिंचाई पद्धतियों में पानी की काफी बर्बादी होती है, जिससे न केवल किसान की लागत बढ़ती है बल्कि भूजल स्तर भी नीचे चला जाता है. इसीलिए विज्ञान और तकनीक की मदद से ऑटोमेटेड इरिगेशन सिस्टम (Automated Irrigation System) को अब इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके इस्तेमाल से खेती में पानी की खपत को नियंत्रित किया जाता है और फसल को उचित मात्रा में नमी प्रदान किया जाता है. ऐसे में किसान के लिए जरूरी है कि वे सिंचाई के लिए ऑटोमेटेड इरिगेशन सिस्टम का इस्तेमाल करें ताकि फसल की पैदावार के साथ-साथ गुणवत्ता भी अच्छी हो.

ऑटोमेटेड इरिगेशन सिस्टम क्या है और इसका उपयोग

ऑटोमेटेड इरिगेशन सिस्टम एक आधुनिक तकनीक है जिसमें सेंसर, टाइमर, जीपीएस और सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है. यह सिस्टम खेत की मिट्टी की नमी, मौसम की स्थिति और फसल की जरूरत के अनुसार अपने आप सिंचाई करता है. किसान मोबाइल एप्लीकेशन या कंप्यूटर से भी इस सिस्टम को नियंत्रित कर सकते हैं. इसका उपयोग फल–सब्जी, गन्ना, गेहूं, धान और बागवानी फसलों में बड़े स्तर पर किया जा रहा है.

ऑटोमेटेड इरिगेशन सिस्टम के प्रकार

1. ड्रिप इरिगेशन सिस्टम – पाइप और ड्रिपर के जरिए पौधों की जड़ों तक सीधा पानी पहुंचाता है.
2. स्प्रिंकलर सिस्टम – बारिश जैसी बौछार के रूप में पूरे खेत में पानी का फैलाव होता है.
3. सेंसर आधारित सिस्टम – मिट्टी की नमी मापकर उसी के अनुसार पानी की आपूर्ति होती है.
4. टाइमर आधारित सिस्टम – तय समय पर स्वचालित रूप से सिंचाई शुरू और बंद हो जाती है.
5. आईओटी और मोबाइल नियंत्रित सिस्टम – स्मार्टफोन या इंटरनेट से नियंत्रित होने वाला आधुनिक सिंचाई सिस्टम होता है.

ऑटोमेटेड इरिगेशन की कीमत और सब्सिडी

भारत में ऑटोमेटेड इरिगेशन सिस्टम की कीमत तकनीक और खेत के आकार पर निर्भर करती है. छोटे खेतों के लिए ड्रिप सिस्टम औसतन 25,000 से 50,000 रुपये तक आता है. स्प्रिंकलर आधारित सिस्टम लभगग 40,000 से 1 लाख रुपये तक उपलब्ध है. सेंसर और मोबाइल नियंत्रित उन्नत सिस्टम की कीमत 1.5 लाख से 5 लाख रुपये तक जा सकती है. केंद्र और राज्य सरकारें इन सिस्टम पर 40–60 प्रतिशत तक की सब्सिडी देती हैं.

ऑटोमेटेड इरिगेशन से लाभ

1. पानी की 40–60 प्रतिशत तक बचत.
2. फसल को सही मात्रा में नमी और पोषण.
3. सिंचाई में मजदूरी पर खर्च कम.
4. फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार.
5. मिट्टी का कटाव और जलभराव से बचाव.
6. मोबाइल और सेंसर आधारित सिस्टम से खेती आसान और स्मार्ट होती है.

ऑटोमेटेड इरिगेशन सिस्टम खेती में पानी की खपत को कम करके अधिक उत्पादन देने वाला एक क्रांतिकारी कदम है. यह न केवल किसानों की लागत कम करता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और भूजल स्तर बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है. आने वाले समय में यह तकनीक भारतीय कृषि का अभिन्न हिस्सा बन जाएगी.

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Published: 26 Oct, 2025 | 11:30 PM

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