राष्‍ट्रीय पशुपालन मिशन फिर से शुरू होने से क्‍यों खुश हैं धर्मपुरी के किसान

धर्मपुरी वह जिला है जो पहाड़‍ियों और चारागाहों से घिरा हुआ है. 3.85 लाख से ज्‍यादा मवेशियों के साथ यहां रोजाना 2.5 लाख लीटर से ज्‍यादा दूध का उत्पादन होता है. डेयरी फार्मिंग यहां किसानों का प्रमुख व्यवसाय है.

Kisan India
Noida | Published: 12 Mar, 2025 | 11:30 AM

तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले के किसान केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में राष्‍ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) को फिर से शुरू करने की घोषणा से खुश हैं. यहां 3.75 लाख से अधिक मवेशी हैं. किसानों का कहना है कि एनएलएम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करेगा क्योंकि मवेशियों की असामयिक मृत्यु से उनकी आय पर असर पड़ सकता है. गौरतलब है कि पशुपालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए सरकार ने पशुधन मिशन योजना को फिर से शुरू किया है. इस योजना के तहत पशुपालन से जुड़ी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जाएगा.

हर महीने लाखों लीटर दूध का उत्‍पादन

धर्मपुरी वह जिला है जो पहाड़‍ियों और चारागाहों से घिरा हुआ है. यहां पर ज्‍यादातर किसानों ने आय के अतिरिक्‍त स्‍त्रोत के तौर पर पशुपालन को अपनाया है. न्‍यू इंडियन एक्‍सप्रेस की एक रिपोर्ट अनुसार 3.85 लाख से ज्‍यादा मवेशियों के साथ, जिले में रोजाना 2.5 लाख लीटर से ज्‍यादा दूध का उत्पादन होता है. डेयरी फार्मिंग यहां किसानों का एक प्रमुख व्यवसाय है. लेकिन बीमारी और महामारी अक्सर मवेशियों पर भारी पड़ती है. मवेशियों की मौत की स्थिति में, किसान राजस्व का एक बड़ा स्रोत गवां देते हैं.

लगातार किसान कर रहे थे मांग

पिछले करीब तीन साल से ज्‍यादा समय से किसान जिला प्रशासन से मवेशी बीमा लागू करने का आग्रह कर रहे हैं. यहां के किसान कहते हैं कि सलेम, होसुर या कोयंबटूर के विपरीत, धर्मपुरी ने बहुत ज्‍यादा विकास होने के बाद भी अपनी ग्रामीण जड़ें बरकरार रखी हैं. शहरों में भी, डेयरी फार्मिंग परिवार की आय में बड़ा योगदान देती है. इसलिए उनके लिए मवेशी बीमा करवाना बहुत जरूरी है.

बीमा कंपनियों में निवेश से बचते किसान

किसानों की मानें तो कुछ निजी कंपनियां बीमा की सुविधा देती हैं, लेकिन प्रीमियम ज्‍यादा होता है और रिटर्न कम इसलिए किसान इसमें निवेश से बचते हैं. इसी वजह से वह पिछले काफी समय से सरकार से बीमा कराने का अनुरोध करते आ रहे हैं. किसानों के मुताबिक अगर कुछ साल पहले किसी मवेशी की मौत हो जाती थी तो उन्‍हें 30,000 रुपये मिलते थे. अब, 55,000 रुपये से लेकर 60,000 रुपये तक के दाम वाले मवेशी हैं. इसलिए कंपनियों की तरफ से होने वाला बीमा बहुत कम है.

क्‍यों जरूरी है पशुओं का बीमा

प्रभावित किसान इस बात से काफी परेशान थे कि केंद्र सरकार ने कुछ साल पहले मवेशी बीमा योजना बंद कर दी थी. इस वजह से जब भी मवेशी चेचक, एफएमडी और कुछ मामलों में एंथ्रेक्स से प्रभावित होते हैं तो वो मर जाते हैं और यह किसानों के लिए एक बहुत बड़ा भावनात्मक और वित्तीय नुकसान है. उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में मवेशी बीमा एक आवश्यकता है.

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Published: 12 Mar, 2025 | 11:30 AM

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