किसान इस तकनीक से करें सिंचाई, कम खर्च में हरेक पौधों की जड़ तक पहुंचेगा बूंद-बूंद पानी

परंपरागत तरीकों से सिंचाई करने में अधिक पानी और श्रम की जरूरत होती थी, साथ ही पानी की बर्बादी भी काफी होती थी. लेकिन आधुनिक तकनीक ने सिंचाई के तरीके बदल दिए हैं. स्प्रिंकलर सिस्टम ऐसी ही एक आधुनिक तकनीक है, जिसने किसानों के लिए सिंचाई को आसान, सस्ता और प्रभावी बना दिया है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 19 Nov, 2025 | 10:33 PM

खेती में पानी का महत्व सबसे अधिक है, क्योंकि अच्छी पैदावार के लिए समय पर और संतुलित सिंचाई जरूरी होती है. परंपरागत तरीकों से सिंचाई करने में अधिक पानी और श्रम की जरूरत होती थी, साथ ही पानी की बर्बादी भी काफी होती थी. लेकिन आधुनिक तकनीक ने सिंचाई के तरीके बदल दिए हैं. स्प्रिंकलर सिस्टम ऐसी ही एक आधुनिक तकनीक है, जिसने किसानों के लिए सिंचाई को आसान, सस्ता और प्रभावी बना दिया है. यह तकनीक आज भारत के कई इलाकों में तेजी से अपनाई जा रही है और यह तकनीक प्रभावी रुप से सफल भी हो रही है. ऐसे में किसानों को इस तकनीक के विषय में अच्छी समझ जरुर रखनी चाहिए.

बूंद-बूंद से होती है सिंचाई

स्प्रिंकलर एक आधुनिक सिंचाई प्रणाली है, जिसमें पानी को पाइप और नोजल की मदद से बारीक बूंदों के रूप में खेत में छिड़का जाता है. यह बिल्कुल वैसे ही काम करता है जैसे बारिश की बौछार. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे पानी की बर्बादी नहीं होती और खेत के हर कोने तक बराबर पानी पहुंचता है. परंपरागत सिंचाई की तुलना में स्प्रिंकलर से 40 से 50 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है. यह खासकर उन क्षेत्रों में उपयोगी है जहां पानी की कमी है. इसके अलावा, स्प्रिंकलर से न सिर्फ पानी बल्कि तरल खाद और दवाइयों का भी छिड़काव किया जा सकता है. इससे फसल का उत्पादन बेहतर होता है और किसानों को अतिरिक्त लाभ मिलता है.

स्प्रिंकलर के कई प्रकार

भारत में स्प्रिंकलर सिस्टम के कई प्रकार उपलब्ध हैं. इनमें मुख्य रूप से रोटरी स्प्रिंकलर, फिक्स्ड स्प्रिंकलर और पोर्टेबल स्प्रिंकलर शामिल हैं. रोटरी स्प्रिंकलर सबसे ज्यादा लोकप्रिय है, क्योंकि यह गोलाई में घूमकर बड़े क्षेत्र में पानी छिड़कता है. फिक्स्ड स्प्रिंकलर छोटे खेतों के लिए उपयुक्त है, जिसमें पाइप और नोजल को एक जगह फिक्स कर दिया जाता है. पोर्टेबल स्प्रिंकलर छोटे और मध्यम किसानों के बीच लोकप्रिय है, क्योंकि इसे आसानी से एक खेत से दूसरे खेत में ले जाया जा सकता है. इसके अलावा, मिनी स्प्रिंकलर गार्डन और सब्जियों की खेती में भी काम आता है.

इतने हैं स्प्रिंकलर सिस्टम

कीमत की बात करें तो भारत में स्प्रिंकलर सिस्टम की कीमत उसकी क्षमता, ब्रांड और पाइप की लंबाई पर निर्भर करती है. साधारण पोर्टेबल स्प्रिंकलर सेट की कीमत लगभग 10 हजार रुपये से शुरू होती है. छोटे और मध्यम किसानों के लिए रोटरी स्प्रिंकलर सिस्टम 20 हजार से 60 हजार रुपये तक उपलब्ध है. वहीं, बड़े पैमाने पर खेतों में लगाने वाले हाई-कैपेसिटी स्प्रिंकलर सिस्टम की कीमत 80 हजार रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक हो सकती है. माइक्रो और मिनी स्प्रिंकलर की कीमत 3 हजार से 10 हजार रुपये तक होती है, जो छोटे गार्डन और सब्जियों की खेती के लिए उपयुक्त हैं.

स्प्रिंकलर खेती में अहम भूमिका निभाएगा

आपको बता दें कि स्प्रिंकलर किसानों के लिए सिंचाई का आधुनिक और प्रभावी साधन है. इससे पानी की बचत होती है, खेत की उत्पादकता बढ़ती है और फसल को संतुलित सिंचाई मिलती है. यह खासकर उन इलाकों में वरदान है जहां पानी की कमी रहती है. आने वाले समय में जैसे-जैसे जल संरक्षण की आवश्यकता और बढ़ेगी, स्प्रिंकलर भारतीय खेती में और भी अहम भूमिका निभाएगा.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 19 Nov, 2025 | 10:30 PM

भारत में सबसे पहले सेब का उत्पादन किस राज्य में शुरू हुआ.

Side Banner

भारत में सबसे पहले सेब का उत्पादन किस राज्य में शुरू हुआ.