हिमाचल सरकार खरीदेगी 800 ई-रिक्शा, घर-घर कचरे से बनेगी खाद, जानें कैसे होगी कमाई?

इस योजना के तहत स्थानीय युवाओं और महिला समूहों को ई-रिक्शा चलाने और कचरा संग्रहण की जिम्मेदारी दी जाएगी. पंचायतें स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से इन वाहनों का संचालन कर सकेंगी.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 9 Oct, 2025 | 11:41 AM

Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों की स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को मजबूत बनाने के लिए एक नई पहल की है. राज्य के मैदानी क्षेत्रों की 800 ग्राम पंचायतों में घर-घर से कचरा उठाने के लिए 800 ई-रिक्शा खरीदे जाएंगे. यह योजना स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत लागू की जा रही है. राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स निगम इस योजना के लिए ई-रिक्शा की खरीद प्रक्रिया पूरी कर रहा है और अगले साल से यह सेवा शुरू होने की संभावना है.

डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण से स्वच्छता में सुधार

योजना के तहत हर पंचायत को कम से कम एक ई-रिक्शा उपलब्ध कराया जाएगा. इन वाहनों के माध्यम से घरों, दुकानों और छोटे व्यापारिक प्रतिष्ठानों से कचरा अलग-अलग संग्रहित किया जाएगा. गीला कचरा कंपोस्टिंग यूनिट्स में जाकर जैविक खाद में बदल जाएगा, जिसे पंचायतें बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकेंगी. वहीं, सूखे कचरे को रिसाइक्लिंग यूनिट्स तक पहुंचाया जाएगा. इस तरह, योजना न केवल स्वच्छता सुनिश्चित करेगी, बल्कि पंचायत इससे में मिलने वाले पैसों से इलाके के विकास में काम कर सकेगी.

पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण में कमी

ई-रिक्शा पूरी तरह बैटरी चालित होंगे. पेट्रोल या डीजल वाहनों की तुलना में इनसे कार्बन उत्सर्जन कम होगा और ध्वनि व वायु प्रदूषण पर भी नियंत्रण रहेगा. यह ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता के साथ-साथ वातावरण को सुरक्षित रखने में मदद करेगा.

मिलेगा रोजगार 

इस योजना के तहत स्थानीय युवाओं और महिला समूहों को ई-रिक्शा चलाने और कचरा संग्रहण की जिम्मेदारी दी जाएगी. पंचायतें स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से इन वाहनों का संचालन कर सकेंगी. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और स्थानीय लोगों में स्वावलंबन की भावना बढ़ेगी.

भविष्य की योजना

राज्य सरकार का लक्ष्य है कि 2026 तक हिमाचल प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में घर-घर कचरा संग्रहण और कंपोस्टिंग की व्यवस्था पूरी तरह लागू हो. भविष्य में इस योजना का विस्तार अन्य क्षेत्रों और पहाड़ी जिलों तक किया जाएगा, ताकि राज्य में समग्र स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक राघव शर्मा ने कहा, “यह योजना न केवल स्वच्छता सुनिश्चित करेगी बल्कि पंचायतों के लिए स्थायी आय का स्रोत भी बनेगी. ई-रिक्शा का उपयोग पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है.”

पर्यावरण पर सकारात्मक असर

ई-रिक्शा के इस्तेमाल से न केवल ध्वनि और वायु प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि ग्रामीण इलाकों में कार्बन उत्सर्जन भी घटेगा. गीला कचरा कंपोस्ट में बदलने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी और खेती के लिए प्राकृतिक खाद उपलब्ध होगी. इस प्रकार, यह योजना केवल स्वच्छता ही नहीं बल्कि ग्रामीण वातावरण को हरित और स्वस्थ बनाने में भी अहम भूमिका निभाएगी.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%