भारत में गन्ना सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि लाखों किसानों की मेहनत और जीवन का आधार है. चीनी मिलें और गन्ना उद्योग मिलकर न केवल किसानों को रोजगार देते हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा नीति में भी अहम भूमिका निभाते हैं. वहीं पिछले कुछ सालों में सरकार ने पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया, जिससे ईंधन की लागत घटे और पर्यावरण को भी राहत मिले. इसके लिए गन्ने से एथेनॉल बनाया जाता है.
लेकिन अब स्थिति बदल रही है. गन्ना उद्योग का कहना है कि एथेनॉल की सरकारी कीमतें बहुत कम हैं, जिससे इसे बनाना घाटे का सौदा बन गया है. इसी वजह से एथेनॉल की आपूर्ति घट रही है और पेट्रोल में इसकी मिलावट का हिस्सा 73 फीसदी से घटकर सिर्फ 28 फीसदी रह गया है, जो इस व्यापार से जुड़े लोगों के लिए चिंता की बात है.
क्या है गिरावट की वजह?
गन्ना किसानों को मिलने वाली एफआरपी (Fair and Remunerative Price) लगातार बढ़ रही है, लेकिन एथेनॉल की कीमतें उसी जगह अटकी हैं. इसका मतलब है कि मिलों को अब एथेनॉल बेचकर मुनाफा नहीं हो रहा. अब कई मिलें एथेनॉल बनाने के बजाय सीधे चीनी बेचने को ज्यादा फायदे का मान रही हैं, जिससे एथेनॉल की आपूर्ति घट गई है.
उद्योग की मांगें क्या हैं?
- एथेनॉल की कीमतों में जल्द बढ़ोतरी की जाए
- पेट्रोल में मिक्सिंग का लक्ष्य 20 फीसदी से आगे बढ़ाया जाए
- फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों (Flex Fuel Vehicles) को बढ़ावा दिया जाए
- भविष्य में डीजल में भी एथेनॉल मिलाने की संभावनाएं तलाशी जाएं
उद्योग का मानना है कि इससे बाजार तैयार रहेगा और एथेनॉल की मांग में स्थिरता बनी रहेगी.
कुछ आंकड़े जो सोचने पर मजबूर करें
पिछले कुछ सालों में एथेनॉल उत्पादन में गिरावट साफ देखी जा सकती है. 2022-23 में करीब 43 लाख टन चीनी एथेनॉल में बदली गई, जिससे 369 करोड़ लीटर एथेनॉल तैयार हुआ था. लेकिन 2023-24 में यह सप्लाई घटकर 270 करोड़ लीटर रह गई. अब 2024-25 में इसका अनुमान सिर्फ 250 करोड़ लीटर लगाया जा रहा है, जो कि देश के तय लक्ष्य का महज 28 फीसदी है. हालांकि भारत की कुल एथेनॉल उत्पादन क्षमता 1,800 करोड़ लीटर प्रति वर्ष तक पहुंच चुकी है, लेकिन कीमतें कम होने की वजह से चीनी मिलें पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रहीं.
किसानों पर असर
अगर मिलों को घाटा होगा तो वे गन्ना कम खरीदेंगी. इसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा. समय पर भुगतान न मिलने, फसल बर्बादी और आर्थिक तंगी जैसी समस्याएं फिर बढ़ सकती हैं.