खेती में लगातार हो रहे बदलाव और मौसम की मार को देखते हुए अब वैज्ञानिक भी ऐसी किस्में को तैयार कर रहे हैं, जो कम पानी, गर्मी या अन्य चुनौतियों में भी अच्छा उत्पादन दे सकें. इसी दिशा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने वर्ष 2024-25 में कई नई और उन्नत किस्मों को विकसित किया है. ये किस्में न सिर्फ उच्च उपज देने वाले बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को झेलने में भी सक्षम हैं.
गेहूं से लेकर मूंग तक, हर फसल में नया विकल्प
ICAR के माध्यम से जारी की गई किस्मों में गेहूं, मक्का, बाजरा, धान, कपास, मूंगफली,और अरहर जैसी प्रमुख फसलें शामिल हैं. ये किस्में खासतौर पर उन किसानों के लिए लाभदायक होंगी जो कम समय में अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता पाना चाहते हैं. ICAR की ये उन्नत किस्में देशभर के कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs), कृषि विश्वविद्यालयों और बीज बिक्री केंद्रों पर उपलब्ध हैं.
जानिए कौन-कौन सी नई किस्में हैं उपलब्ध:
पूसा गेहूं शरबती (HI 1665)
इस किस्म की खासियत यह है कि यह बेहद स्वादिष्ट और नरम दानों वाली है, साथ ही उच्च उपज देने वाली भी है. कम समय में पकने वाली यह किस्म महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के समतल इलाकों में खेती के लिए बेस्ट है.
पूसा पॉपकॉर्न हब (APCH-2)
एक स्वीटकॉर्न हाइब्रिड किस्म है जो फसल में भूरे रंग के पत्ती धब्बा रोग को रोकने में मदद करती है। यह कम लागत में 103 दिनों में 46 क्विंटल तक की उपज दे सकती है.
बाजरा: पुसा-1501 (MH 2417)
यह किस्म खासतौर पर सूखे और कम पानी वाले इलाकों के लिए उपयोगी है. इसकी उपज भी अच्छी है और पोषण भी ज्यादा है. बाजरा आजकल फिर से लोकप्रिय हो रहा है, ऐसे में यह किस्म किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.

ICAR Crops
मक्का: पूसा HM4 नरबंध्य बेबीकॉर्न-2
इस किस्म से बेबीकॉर्न का उत्पादन किया जा सकता है, जिसकी मांग होटल और प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में बहुत अधिक है. यह एक संकर किस्म है जो खरीफ मौसम के दौरान सिंचित परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है.
CICR Bt कपास 40
आईसीएआर द्वारा विकसित एक हाइब्रिड और बीटी किस्म है, जो कीटों के प्रति प्रतिरोधी है और उत्पादन में बढ़ोतरी करती है. कम कीटनाशक की जरूरत होने से लागत भी घटती है.
मूंगफली: ICAR कोणार्क
यह स्पेनिश वैरायटी की किस्म है, जिसमें तेल की मात्रा अधिक है और जलवायु अनुकूलता भी बेहतर है. मूंगफली की यह किस्म खासतौर पर खरीफ सीजन के लिए तैयार किया गया है,
धान: DRR थाने 73 (IET 30242)
यह किस्म उन किसानों के लिए बेहतर है जो जलभराव या अनियमित बारिश वाले क्षेत्रों में खेती करते हैं. यह जल्दी पकती है और रोगों के प्रति कम संवेदनशील है.एक ऐसी धान की किस्म है जो कम समय में तैयार, ज्यादा उपज और कठिन परिस्थितियों में भी बेहतर प्रदर्शन करती है.
अरहर: NAAM 88
एक ऐसी किस्म है जिसे खासतौर से कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के लिए विकसित किया गया है. यह किस्म खरीफ सीजन में वर्षा आधारित क्षेत्रों के लिए बेस्ट है.
कुसुम: ISF-300
सरसों और तिलहनों की खेती करने वाले किसानों के लिए यह कुसुम की नई किस्म बेहतर विकल्प है. इससे अच्छा तेल उत्पादन हो सकता है.
LAM Pesara 610 (LGG 610)
मूंग की यह किस्म आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और ओडिशा की जलवायु के लिए विशेष रूप से विकसित की गई है. इसकी उपज क्षमता 11.17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.