बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. तारीखों के ऐलान जल्द संभव है और गहन मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम चल रहा है. इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आशा कार्यकर्ता और ममता कार्यकर्ता के मासिक मानदेय बढ़ा दिया है. इस प्रोत्साहन से कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और राज्य की ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था में तेजी आएगी. वहीं, राजनीतिक विश्लेषक इसे वोट बटोरने का पैंतरा बता रहे हैं. वहीं, बिहार कैबिनेट ने दरभंगा समेत राज्य के 5 शहरों में डेयरी प्लांट लगाने की घोषणा की है. इसके अलावा स्कूलों को व्यवस्थित करने और सड़क-पानी की व्यवस्था के लिए कई योजनाओं के तहत मोटी राशि मंजूर की है.
बिहार सरकार ने राज्य की आशा और ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि में बढ़ोतरी करने का बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाली आशा कार्यकर्ताओं और ममता कार्यकर्ताओं की मांग को पूरा करते हुए उनका मानदेय बढ़ा दिया है. ये स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाली यह महिला कार्यकर्ता लंबे समय से मानदेय बढ़ाने की मांग कर रही थीं, जिसे अब मंजूरी दे दी गई है.
कितना बढ़ा मानदेय
बिहार सरकार के आदेश के अनुसार आशा कार्यकर्ताओं के मासिक मानदेय में 2000 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई है. उन्हें अब हर महीने 1000 रुपये की जगह 3000 रुपये मिलेंगे. वहीं, ममता कार्यकर्ताओं को हर प्रसव के लिए 300 रुपये की जगह 600 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक्स पर इसकी घोषणा करते हुए बताया कि नवंबर 2005 में सरकार बनने के बाद से नीतीश सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में आशा तथा ममता कार्यकर्ताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसे ध्यान में रखते हुए और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण में आशा और ममता कार्यकर्ताओं के अहम योगदान को सम्मान देते हुए, उनकी मानदेय राशि में वृद्धि करने का निर्णय लिया गया है.
आगामी चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा फैसला
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि मानदेय और प्रोत्साहन राशि में बढ़ोत्तरी से उनका मनोबल और बढ़ेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं और मजबूत होंगी. विपक्षी दल और राजनीतिक विश्लेषक सरकार के इस फैसले को आगामी विधानसभा चुनाव के नजरिए से देख रहे हैं. राज्य में अक्तूबर में संभावित चुनाव होने हैं, जिसके लिए मतादाता पुनरीक्षण कार्यक्रम चल रहा है. जबकि, राजनीतिक दल वोटरों को अपनी ओर लुभाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं.