6.1 करोड़ किसानों को मिला डिजिटल पहचान पत्र, जानिए इसके क्या हैं बड़े फायदे

देश में लगभग 14 करोड़ किसान हैं, जिनमें से करीब 30-40% ऐसे हैं जो खुद जमीन के मालिक नहीं हैं. डिजिटल पहचान से यह पता चलेगा कि किस किसान के पास कितनी जमीन है और वह उसमें क्या उगा रहा है.

नई दिल्ली | Published: 2 Jun, 2025 | 01:40 PM

भारत की खेती अब तेजी से डिजिटल युग में कदम रख रही है. अब तक 6.1 करोड़ (61 मिलियन) किसानों को ‘किसान पहचान पत्र’ यानी डिजिटल ID मिल चुकी है, जो सीधे तौर पर उनकी जमीन, फसलों और सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारी को रिकॉर्ड करती है. यह बदलाव सिर्फ एक कागजी पहचान नहीं, बल्कि किसानों की जिंदगी आसान बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

क्या है ‘किसान पहचान पत्र’?

किसान पहचान पत्र एक यूनिक डिजिटल आईडी है जो हर किसान के नाम से बनी है और इसमें उनकी जमीन, फसलों, सिंचाई की स्थिति, और अन्य कृषि संबंधी जानकारी दर्ज होती है. यह ठीक उसी तरह काम करता है जैसे आधार कार्ड, लेकिन खेती के लिए. इसे देश के 14 राज्यों में लागू किया गया है, जिसमें सबसे आगे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश हैं.

इन राज्यों में सबसे ज्यादा किसान जुड़े

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक किसान पहचान पत्र उत्तर प्रदेश (1.3 करोड़), महाराष्ट्र (99 लाख), और मध्य प्रदेश (83 लाख) में बनाए गए हैं. इनके बाद राजस्थान, आंध्र प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्य भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. सरकार का लक्ष्य है कि वित्तीय वर्ष 2026-27 तक 11 करोड़ (110 मिलियन) किसानों को यह डिजिटल पहचान दी जाए.

किसानों को क्या फायदा होगा इस पहचान पत्र से?

  • PM किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं के पैसे सीधे उसी किसान को मिलेंगे जिसकी जमीन पर खेती हो रही है.
  • फसल बीमा, कृषि ऋण, और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ तेजी से और पारदर्शी तरीके से मिलेगा.
  • जमीन का डिजिटल रिकॉर्ड होने से बिचौलियों की भूमिका कम होगी और फर्जीवाड़ा रुकेगा.

बटाईदार किसानों का क्या होगा?

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर कोई किसान जमीन का मालिक नहीं है, लेकिन बटाई पर या किराए पर खेती कर रहा है, तो राज्य सरकारें चाहें तो उन्हें भी किसान रजिस्टर में शामिल कर सकती हैं. इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी वास्तविक किसान सरकारी योजनाओं से वंचित न रहे.

कैसे बन रही है ये डिजिटल प्रणाली?

यह पूरा अभियान ‘AgriStack’ नाम के डिजिटल सिस्टम का हिस्सा है, जिसे कृषि मंत्रालय ने विकसित किया है. इसमें तीन मुख्य डिजिटल रजिस्टर बनाए जा रहे हैं:

  • गांवों का डिजिटल नक्शा
  • फसल बुआई रजिस्टर
  • किसान रजिस्टर

इन सभी को मिलाकर एक ऐसा कृषि डेटाबेस तैयार किया जा रहा है जो भविष्य में योजना निर्माण, आपदा राहत, और खेती से जुड़ी निर्णय प्रक्रिया को बेहतर बनाएगा.

असली किसानों को होगा फायदा

देश में लगभग 14 करोड़ किसान हैं, जिनमें से करीब 30-40% ऐसे हैं जो खुद जमीन के मालिक नहीं हैं. डिजिटल पहचान से यह पता चलेगा कि किस किसान के पास कितनी जमीन है और वह उसमें क्या उगा रहा है. इससे न सिर्फ सरकारी योजनाओं का सही लाभ मिलेगा, बल्कि खाद, बीज और तकनीकी सहायता भी बेहतर तरीके से पहुंचाई जा सकेगी.