केज कल्चर से मछली पालन में नई क्रांति, नया तरीका खोज महिलाओं ने संभाला मोर्चा

Cage Culture Fish Farming: जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में मछली पालन से जुड़ने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है. उनका कहना है कि इससे ग्रामीणों की आमदनी बढ़ी है और जीवन स्तर में सुधार आया है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 30 Jun, 2025 | 04:07 PM

झारखंड के हजारीबाग जिले के बुंडू गांव की तस्वीर अब बदल रही है. कभी चूल्हा- चौका तक सीमित रहने वाली महिलाएं आज जलाशयों में मछली पाल रही है. यही नहीं युवाओं ने भी रोजगार की तलाश में गांव की ओर लौटना शुरू कर दिया है. ये बदलाव मुमकिन हुआ है केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा और केज कल्चर फिश फार्मिंग के चलते, जिससे हजारीबाग में मछली को नई दिशा मिली रही है.

हजारीबाग जिले का बुंडू गांव बना मिसाल

हजारीबाग जिले का बुंडू गांव इन दिनों मछली पालन के क्षेत्र में एक मिसाल बनता जा रहा है. प्रसार भारती के मुताबिक, यहां की महिलाएं और युवा अब प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) का लाभ उठाकर केज कल्चर तकनीक से मछली पालन कर रहे हैं. इस योजना के तहत ना केवल आर्थिक सहयोग मिल रहा है, बल्कि ट्रेनिंग, बीमा और मार्केटिंग जैसी सुविधाएं भी ग्रामीणों को दी जा रही हैं.

बुंडू गांव की प्रियंका कुमारी पहले घर के काम तक सीमित थीं, लेकिन अब वह मछली पालन से आत्मनिर्भर बन चुकी हैं. प्रियंका कहती हैं कि सरकार से सहायता मिलने के बाद उन्होंने जलाशय में केज कल्चर शुरू किया और कुछ ही महीनों में अच्छी आमदनी होने लगी.

युवाओं को भी भा रहा है मछली पालन

सिर्फ महिलाएं ही नहीं, गांव के युवा भी अब इस काम में जुट गए हैं. कल्याण यादव जैसे युवा जो पहले रोजगार की तलाश में शहरों की ओर जा रहे थे, अब गांव लौटकर मछली पालन को पेशे के तौर पर अपना रहे हैं. कल्याण बताते हैं कि बीमा की सुविधा और तकनीकी मदद से अब यह एक सुरक्षित और मुनाफे वाला व्यवसाय बन चुका है.

Cage Culture Fish Farming

केज कल्चर से मछली पालन करते हुए युवा

मछली पालन बन रहा कमाई का जरिया

वहीं, मत्स्य पालक अकबर अंसारी का मानना है कि स्थानीय जलाशयों में सालभर पानी होने से केज कल्चर के लिए हालात अनुकूल हैं. वो बताते हैं कि पहले गांव के लोगों को रोजगार के लिए पलायन करना पड़ता था, लेकिन अब मछली पालन से उन्हें यहीं आमदनी होने लगी है.

तीन साल में बदली गांव की तस्वीर- जिला मत्स्य अधिकारी

जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में इस गांव में मछली पालन से जुड़ने वालों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है. उनका कहना है कि इससे ग्रामीणों की आमदनी बढ़ी है और जीवन स्तर में सुधार आया है.

झारखंड में छोटे-बड़े कई जलाशय मौजूद हैं, जिससे मछली पालन की अपार संभावनाएं हैं. केंद्र सरकार की योजना और स्थानीय जल संसाधनों का बेहतर उपयोग कर ग्रामीणों को एक स्थायी रोजगार का जरिया मिल रहा है.

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Published: 30 Jun, 2025 | 03:59 PM

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