बंदूक छोड़ी और नक्सली से किसान बने ज्योति लाकड़ा, आज मछलीपालन से 8 लाख कमाई

झारखंड के गुमला जिले में मछली पालन ने कई पूर्व नक्सलियों की जिंदगी बदल दी है. अब ये लोग मछली पालन के जरिए बच्चों की पढ़ाई और परिवार का खर्च चला रहे हैं.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 29 Jun, 2025 | 02:59 PM

झारखंड के गुमला जिले में एक समय था जब यहां नक्सलवाद के साए में लोग जीते थे. गांव वीरान थे, खेत खाली और युवाओं के पास रोजगार नहीं था. लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत मछली पालन ने यहां के युवाओं की किस्मत बदल दी है. जो लोग पहले मछली चारा के लिए 150 किलोमीटर दूर जाते थे, आज खुद फिश फीड मिल चला रहे हैं और लाखों की कमाई कर रहे हैं.

नक्सलवाद छोड़ मछली पालन में कमाई

पीटीआई के मुताबिक, गुमला के बासिया ब्लॉक के रहने वाले ज्योति लकड़ा कभी नक्सल संगठन से जुड़े थे. लेकिन 2002 में उन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया. अब वे एक मछली चारा मिल चला रहे हैं, जिससे उन्हें पिछले साल 8 लाख रुपये का मुनाफा हुआ. पहले यहां के मछुआरों को चारा खरीदने के लिए 150 किमी दूर जाना पड़ता था, लेकिन अब वह सब गांव में ही तैयार हो रहा है.

सरकार से 18 लाख रुपये की सहायता लेकर शुरू की गई इस यूनिट ने न सिर्फ ज्योति लकड़ा की किस्मत बदली, बल्कि आसपास के लोगों को भी रोजगार दिया. यह सब संभव हुआ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) योजना के तहत.

नक्सल इलाकों की बदली तस्वीर

2020 में शुरू हुई इस योजना ने चार सालों में गुमला जिले के 157 लोगों को मछली पालन का प्रशिक्षण दिया. जिला मत्स्य अधिकारी कुसुमलता के मुताबिक यहां के 25 फीसदी मछुआरे कभी नक्सल गतिविधियों से जुड़े थे. लेकिन अब उनकी पहचान मछली पालक के रूप में हो रही है.

सरकार की कोशिशों से मई 2025 में गुमला और रांची को नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से हटा लिया गया, जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. इसके अलावा, सरकार ने 22 जलाशयों को इच्छुक परिवारों को पट्टे पर दिया, जिनमें से एक जंगल क्षेत्र में था जिसे चलाने के लिए एक पूर्व नक्सली को मनाया गया.

छोटे तालाब से लाखों की कमाई

42 वर्षीय ईश्वर गोप अब शांति सेना का हिस्सा हैं और सरकारी तालाब से हर साल 2.5 लाख रुपये की मछली निकालते हैं. जिससे उन्हें तालाब से 1.2 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा होता है. वहीं, ओमप्रकाश साहू जो कभी सक्रिय नक्सली समर्थक थे, अब छह तालाब चलाते हैं और हर साल 40 क्विंटल मछली का उत्पादन कर रहे हैं.

2009 में राज्य मत्स्य विस्तार अधिकारी मुग्धा कुमार टोपो ने जब सुरक्षा खतरों के बावजूद गुमला में तैनाती ली, तब यह पहल शुरू हुई थी. टोपो बताते हैं कि बासिया ब्लॉक जाना तब बहुत मुश्किल था क्योंकि नक्सली गतिविधियां चरम पर थीं. 50 परिवारों से बात करने के बाद एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू हुआ.

150 एकड़ जमीन पर धान की जगह मछली पालन

51 वर्षीय लखन सिंह कहते हैं कि धान की खेती में इतना मुनाफा नहीं था. अब मछली पालन से बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च आसानी से निकल जाता है. वे अब अपनी 150 एकड़ जमीन पर धान की जगह मछली पालन कर रहे हैं.

झारखंड को बदल रही है मत्स्य योजना

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इस योजना ने स्थानीय स्तर पर तीन गुना रोज़गार बढ़ाया है और पलायन में भारी कमी आई है. इतना ही नहीं गुमला जिले में 4 हजार निजी और 360 सरकारी तालाब हैं, जिनसे हजारों परिवारों की जिंदगी अब नई दिशा में बढ़ रही है.

हालांकि गुमला और रांची अब नक्सल सूची से बाहर हैं, लेकिन पश्चिम सिंहभूम अभी भी सबसे अधिक प्रभावित जिला है. बोकारो, चतरा, गढ़वा, गिरिडीह, खूंटी, लोहरदगा और सरायकेला-खरसावां आंशिक रूप से प्रभावित माने जाते हैं.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 29 Jun, 2025 | 02:35 PM

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%